उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का लखनऊ के अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद आज निधन हो गया। वह 89 वर्ष के थे। उनकी हालत पिछले कई दिनों से गंभीर चल रही थी।
देश में जब हिंदुत्व की राजनीति की बात होगी तो उसमें कल्याण सिंह सबसे शीर्ष पर आएंगे। वह ही पहले नेता हैं जो हिंदुत्व वाली राजनीति को शिखर पर ले गए।
एक समय उन्होंने बीजेपी को छोड़कर नई पार्टी बना ली थी लेकिन यदि ऐसा न करते तो अटल-आडवाणी के बाद बीजेपी के तीसरे सबसे बड़े नेता होते।
कल्याण सिंह ने राजनीति की शुरुआत जन संघ के कार्यकर्ता के रूप में की। उस समय प्रदेश और देश में कांग्रेस का वर्चस्व था। अलीगढ़ के अतरौली विधानसभा से पहली बार 1967 में विधायक बने। इसके बाद 1980 तक लगातार इस सीट से जीते।
जब 1980 में बीजेपी का गठन हुआ तो कल्याण सिंह को प्रदेश का महामंत्री बनाया गया। उस समय अयोध्या आंदोलन चल रहा था और उसमें कल्याण सिंह ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।
उन्होंने अयोध्या आंदोलन में न केवल गिरफ्तारी दी बल्कि कार्यकर्ताओं में जमकर जोश भरा। और यही कारण था कि जब बीजेपी की सरकार 1992 में बनी तो कल्याण सिंह को सूबे का मुख्यमंत्री बनाया गया।
मुख्यमंत्री बनने के बाद कल्याण सिंह ने अयोध्या का दौरा किया और राम मंदिर बनाने के लिए शपथ भी ली। और जब छह दिसम्बर 1992 को बाबरी विध्वंस हुआ तो उन्होंने इस्तीफा दे दिया। कल्याण सिंह की सरकार बर्खास्त हो गई।
इसी के बाद उत्तर प्रदेश में कमंडल की राजनीति ने बीजेपी को बैकफुट पर कर दिया। बीजेपी इसके बाद 1997 में सत्ता में वापसी कर पाई और फिर से कल्याण सिंह मुख्यमंत्री बने।
इस बार कल्याण सिंह को उनकी ही पार्टी ने मुख्यमंत्री के पद से हटा दिया। वह केवल 2 साल ही मुख्यमंत्री रहे। शीर्ष नेतृत्व से नाराज होने के बाद उन्होंने बीजेपी से अलग होकर राष्ट्रीय क्रांति पार्टी बना ली थी।