दलितों के बाल काटना पड़ा महंगा, हुआ सामाजिक बहिष्कार और लगा 50,000 का जुर्माना

BY- FIRE TIMES TEAM

हमारा देश आज काफी आगे निकल चुका है लेकिन जातिय बंधनो से आज भी मुक्त नहीं हो पाया है, आये दिन जातिय उत्पीड़न की खबरें सुनने को मिल जाती हैं।

कभी किसीको इस बात पे मारा जाता है कि उसने मूछें क्यों रख ली तो कभी इस बात पे की ये नीच जाति का होकर मेरे साथ कैसे बैठा तो कभी इस बात और कि इस नीच जाति वाले ने मेरा समान क्यों छुआ।

इस तरह की खबरें सिर्फ ग्रामीण क्षेत्र ही नहीं बल्कि बड़े-बड़े शहरों से भी आती हैं जैसे डॉ पायल तडवी जिसने जातिगत उत्पीड़न से तंग आकर आत्महत्या कर ली थी। और इसके अलावा एक और नाम है जिसे शायद बहुजन समाज कभी नहीं भूल पायेगा वो है रोहित वेमुला जो हैदराबद यूनिवर्सिटी में रिसर्च स्कॉलर था।

कर्नाटक के मैसूरु से ऐसी एक और घटना सामने आई है जहां एक बाल काटने वाले के ऊपर 50,000 का जुर्माना लगाया गया क्योंकि उसने दलित समाज के लोगों के बाल काटे थे।

एक परिवार जो कि नानजिंगगुडु तालुक के हलारे गाँव में यहाँ बाल काटने का सैलून चलाता है उसका कथित तौर पर सामाजिक बहिष्कार किया जा रहा है और गाँव के नेताओं द्वारा कथित रूप से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों के बाल काटने के लिए 50,000 रुपये का जुर्माना देने को कहा गया है।

बार्बर मल्लिकार्जुन शेट्टी, जिनके परिवार का सामाजिक बहिष्कार किया गया है, ने कहा कि उनके साथ तीसरी बार ऐसा हुआ है, उन्होंने कहा कि उन्होंने पहले भी जुर्माना अदा किया था।

उन्होंने आरोप लगाया कि लोग उन्हें एससी-एसटी समुदाय के लोगों के बाल काटने को लेकर प्रताड़ित कर रहे हैं और उनका परिवार आत्महत्या कर लेगा अगर अधिकारियों ने उनकी समस्या पर ध्यान नहीं दिया और इस मुद्दे को हल नहीं किया।

शेट्टी ने कहा, “यह तीसरी बार मेरे साथ हुआ। मैंने पहले भी जुर्माना भरा था। एससी-एसटी समुदाय के सदस्यों के बाल काटने की वजह से चन्ना नाइक और अन्य मुझे प्रताड़ित कर रहे हैं। अगर मसला हल नहीं हुआ तो मेरे परिवार को आत्महत्या करनी पड़ेगी। मैंने प्राधिकरण से शिकायत की है।”

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