BY – FIRE TIMES TEAM
चीन के शिनजियांग प्रांत में रहने वाले उइगर मुस्लिमों की जिंदगी दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है। तमाम रिपोर्ट्स में इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि चीन ने उइगर मुस्लिमों की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान मिटाने में कोई कसर बाकी नहीं रखी है, और अब वह उन्हें हर शुक्रवार को सूअर का मांस खाने को मजबूर कर रहा है।
इस बात का खुलासा किसी और ने नहीं, बल्कि खुद एक उइगर मुस्लिम सयारगुल सौतबे ने अलजजीरा को दिए एक इंटरव्यू में किया है। उन्होंने कहा कि यदि कोई मुसलमान सूअर का मांस खाने से मना करता है तो उसे कड़ी सजा दी जाती है।
ऐसी ही एक महिला बिजनसमैन जुमरेत दाउत हैं। जुमरेत को मार्च 2018 में उरुमेकी में पकड़ा गया था और दो महीने तक उनसे केवल पाकिस्तान के साथ संबंधों को लेकर पूछताछ होती रही थी। पाकिस्तान जुमरेत के पति का देश था।
उन्होंने बताया कि चीनी अधिकारियों ने पूछताछ के दौरान उनके बच्चों की संख्या, धर्म और कुरान के पढ़ने के बारे में जानकारी मांगी थी। जुमरेत ने भी कहा कि उइगर मुस्लिमों के शिविर में सूअर का मांस परोसा जाता है।
उन्होंने कहा, ‘जब आप यातना सिविर में होते हैं तब आप यह तय नहीं कर सकते कि क्या खाना है और क्या नहीं खाना है। जिंदा रहने के लिए हमें जो मांस दिया जाता है, हमें खाना पड़ता है।’
चीन की सरकार ने सिजियांंग प्रान्त में उइगर मुसलमानों को हिरासत में लेने के लिए एक बड़ी योजना के तहत काम कर रही है। सरकार सूचना प्रोद्योगिकी और डेटा का भी उपयोग कर रही है। इसके आधार पर मुस्लिमों की लिस्ट तैयार की जा रही है।
न्यूयार्क के मानवाधिकार वाच ने लिस्ट के हवाले से बताया है कि कम्प्यूटर प्रोग्राम एकीकृत संयुक्त ऑपरेशन प्लेटफार्म (IJOP) द्वारा डेटा का विश्लेषण करने से पता चला है कि अल्पसंख्यक समुदाय के कुछ चुनिंदा लोगों को हिरासत में लिया जाना है।
एचआरडब्ल्यू (HRW) को मिली अक्सू से 2000 से अधिक बंदियों की एक लीक सूची में मुस्लिम आबादी के दमन में चीन के प्रोद्योगिकी के उपयोग किए जाने के सुबूत मिले हैं।
बंदीगृह में बंद करने के लिए जो मापदंड चीनी सरकार ने तय किए हैं वह कम्प्यूटर प्रोग्राम ऑटोमेटिक रूप से संभावित बंदियों का चयन करता है।
इन मापदंडों में धार्मिक कपड़े पहनने, धार्मिक पुस्तकों का अध्ध्यन करना, अन्तर्राष्ट्रीय यात्रा खासकर हज करना शामिल किया गया है।