BY- VIRENDRA KUMAR
एक वो समय था जब मुजफ्फरनगर दंगों (2013) की आग में जल रहा था, किचन में तवे पर रोटियां छोड़कर महिलाएं अपने मासूम बच्चों को सीने से लगाये इधर-उधर भाग रहीं थी, सड़कों का रंग-नहरों में बहने वाला बेरंग पानी लाल हो चुका था और मौत की चीखें मुजफ्फरनगर को अपने आगोश में ले चुकी थी। उसके बाद वो समय आया जब दंगे में अपनो को खो चुके लोगों को राहत शिविर में लाया गया। यहां भी लोगों का दर्द खत्म नहीं हुआ। पीडि़त जमा देने वाली ठंड में कंपकंपा रहे हैं।
मगर हालात वैसे के वैसे ही हैं, सरकार उस वक्त भी संवेदहीन थी और इस वक्त भी। जी हां मुजफ्फरनगर में फैले मातम और दर्द को प्रदेश के मुखिया अखिलेश यादव भूल गये थे और सैफई महोत्सव में रंगारंग कार्यक्रम का आनंद ले रहे थे। कम कपड़ों में बॉलीवुड हसिनाओं के रंगारंग कार्यक्रम, विदेशों से बुलाई गईं डांसरों के ठुमके और कॉमेडी के बादशाह कपिल शर्मा के कॉमेडी ने अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव को इस कदर फंसा दिया कि उनका ध्यान मुजफ्फरनगर दंगों पर गया ही नहीं और वो महोत्सव में बैठकर खिलखिलाते रहे।
जी हां, यही सच है। दिसंबर महीने में जब समय ठंड अपने चरम पर थी । यूपी सरकार हमेशा की तरह इन दिनों सैफई महोत्सव मना रही थी । सैफई महोत्सव से शायद किसी को कोई परेशानी नहीं, लेकिन जब प्रदेश के बहुत से लोग मुसीबत में हों और मुखिया रंगारंग कार्यक्रम करवा रहे हों तो फिर सवाल उठने लाजिमी थे और हैं भी। इस बात का बचाव करते हुए अखिलेश यादव ने कहा था कि यह तो दशकों पुरानी समाजवादी पार्टी की परंपरा है।
उन्होंने मीडिया पर ठिकरा फोड़ते हुए कहा था की मुझे पता है कि आप लोग यहां फेस्टिवल को कवर करने नहीं आए बल्की एक विंडो में राहत शिविरों की स्थिती दिखाएंगे तो दूसरी विंडो में फेस्टिवल की सुर्खियां दिखाओगे। तब उनकी राज्य सरकार का कहना था कि दंगा पीडितों के राहत कार्यों में अभी तक 95 करोड़ रूपए खर्च किया लेकिन यह नहीं बताया गया कि सैफई महोत्सव में कितना खर्च किया गया।
मीडिया के खबरों के हवाले से मालूम हो कि उस समय राहत शिविरों में रह रहे 34 बच्चों की ठंड की वजह से मौत हो गयी थी । शिविरों में रह रहे हजारों शर्णार्थी ठंड से कांपते हुए प्रदेश सरकार से आशा लगाए हुए थे कि उन्हें जल्द से जल्द अपने घरों में वापस लौटाया जाएगा लेकिन प्रदेश के मुखिया तो लड़कियों का डांस और कॉमिडियन्स की कॉमेडी देखकर खिलखिला रहे थे।
मुस्लिम समाज को वोट देते वक़्त ये सब भी याद करना चाहिए, लोगो की यादाश्त कमजोर होती है इसलिए याद दिला दे रहा हूँ।
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