गर्भवती हथिनी की मौत को मुद्दा बनाने वाले 8 महीने की गर्भवती महिला की मौत पर शांत क्यों?

BY- FIRE TIMES TEAM

केरल के पलक्कड़ में एक गर्भवती हथिनी की मौत हो गई थी। जिसके बाद लोगों ने न केवल फर्जी खबरें शेयर की बल्कि केरल सरकार को खूब कोशा गया। लोगों ने केरल की साक्षरता को लेकर भी सवाल खड़े कर दिए।

प्रकाश जावड़ेकर व मेनका गांधी जैसे कद्दावर नेताओं ने उस घटना को केरल के मल्लापुरम से जोड़कर देखा था।

मल्लापुरम शायद इसलिए चर्चा में लाया गया क्योंकि वहां मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या सबसे ज्यादा है।

बात यहीं तक नहीं रुकी माने-जाने पत्रकार और नेताओं ने दो मुस्लिम नवयुवकों को उस हथिनी की मौत के लिए जिम्मेदार बता दिया। पत्रकार दीपक चौरसिया ने भी उन दो मुस्लिम नवयुवकों के नाम के साथ एक ट्वीट किया जिसको बाद में उन्होंने डिलीट कर दिया।

photo/tweeter

कहीं न कहीं हथिनी की मौत को एक साम्प्रदायिक माहौल बनाने का प्रयास किया गया। जिसमें नेता, मंत्री, पत्रकार, आईटी सेल और भारत की आम जनता शामिल थी।

अब उत्तर प्रदेश से एक ऐसी खबर आई है जहां 8 महीने की गर्भवती महिला ने इलाज न मिलने के कारण इस दुनिया को अलविदा कह दिया। सिस्टम ऐसा कि उत्तर प्रदेश के  गौतमबुद्धनगर शहर में करीब 12 घंटे में उस महिला का 8 अस्पतालों ने इलाज करने से मना कर दिया।

परिजनों ने 12 घंटे में आठ अस्पतालों के चक्कर लगाया लेकिन किसी ने उसको भर्ती नहीं किया। एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल का चक्कर लगाने वाले परिवार ने 12 घंटे में अपनी बेटी, बहू, बहन, पत्नी सबको खो दिया।

खबर के अनुसार जिस महिला की मौत हुई है वह गाजियाबाद के खोड़ा इलाके की निवासी थी। उस महिला का 5 साल का बच्चा भी है। पति और पांच साल के बच्चे के साथ सुखी जीवन व्यतीत करने वाली महिला ने अस्पताल की लापरवाही के कारण महज 12 घंटे में दुनिया को अचानक से अलविदा कह दिया।

महिला के भाई ने बताया है कि वह और उसके जीजा ने बहन को शहर के 6 अस्पताल ले गए जहां उसे भर्ती नहीं किया। इसके बाद 2 और अस्पताल गए लेकिन सभी ने बेड न होने की बात कह कर भर्ती नहीं किया।

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