उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री एक बेहतर प्रदेश बनाने की बात कह रहे हैं लेकिन सूबे के हालात लगातार खराब होते जा रहे हैं। कानून व्यवस्था के सही होने की भले हो कोई कितनी दुहाई दे लेकिन यह योगी राज में सही नहीं है।
उत्तर प्रदेश में हत्या, लूट, बालात्कार जैसी घटनाएं बढ़ती ही जा रही हैं। आम आदमी की सुरक्षा की यहां कोई गारंटी नहीं है। अब पत्रकार भी इसके शिकार हो रहे हैं।
पिछले कई महीनों में सूबे में कई पत्रकारों की हत्याएं हुई और कई पत्रकारों पर योगी जी की पुलिस ने खबर चलाने के चलते एफआईआर कर दिया।
पिछले तीन महीने में तीन पत्रकारों की यहां हत्याएं हो चुकी हैं। शुभममणि त्रिपाठी को बदमाशों ने उन्नाव-लखनऊ हाइवे पर दिन दहाड़े गोलियों से भून डाला। वह एक लोकल अखबार में काम करते थे।
शुभममणि ने हत्या की आशंका भी जताई थी और सुरक्षा को लेकर मुख्यमंत्री से गुहार भी लगाई। बावजूद इसके न तो सुरक्षा दी गई और न उसकी हत्या को पुलिस रोक पाई। 19 जून को आखिरकार बदमाशों ने हत्या कर दी।
19 जुलाई की देर रात दिल्ली के पास गाजियाबाद में बदमाशों की गोली के शिकार पत्रकार विक्रम जोशी की दो दिन बाद मौत हो गई।
विक्रम जोशी पर इसलिए हमला किया गया था क्योंकि उन्होंने अपनी भतीजी के उत्पीड़न पर पुलिस में शिकायत दर्ज की थी। वह अपनी बेटियों के साथ कहीं जा रहे थे तब कुछ लोगों ने उनपर हमला करके उनके बच्चों के सामने ही भून दिया।
घटना के बाद विक्रम जोशी को गाजियाबाद के नेहरू नगर के यशोदा अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वहां उन्होंने दम तोड़ दिया।
गाजियाबाद एसएसपी ने कहा है कि मामले में अब तक नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उस थाना प्रभारी को निलंबित कर दिया गया है जहां विक्रम जोशी ने शिकायत दर्ज की थी इसके साथ ही विभागीय जांच शुरू की गई है।
घटना सीसीटीवी फुटेज में कैद हो गई थी जिसमें देखा जा सकता है कि लोगों के एक समूह ने विक्रम जोशी को रोका और उसे मारना शुरू कर दिया। हमलावरों ने जोशी को एक कार की ओर खींच लिया और मौके से भागने से पहले उन्हें गोली मार दी।
विक्रम जोशी के साथ सड़क पर ही उनकी एक बेटी उनके पास गई। वह मदद के लिए चिल्लाई जिसके बाद गंभीर रूप से घायल पत्रकार को अस्पताल ले जाया गया। यूपी पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई के बाद पत्रकार के परिवार ने आरोप लगाया कि यह हमला एक शिकायत से संबंधित था जो उसने पिछले सप्ताह कुछ लोगों द्वारा अपनी भतीजी के उत्पीड़न के संबंध में की थी।
विक्रम जोशी के भाई अनिकेत जोशी ने कहा कि यूपी के पत्रकार ने विजय नगर पुलिस स्टेशन में एक लिखित शिकायत दी थी जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि कुछ लोगों ने उनकी भतीजी के साथ दुर्व्यवहार किया था।
पत्रकार के भाई ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि शिकायत के संबंध में एक मामला दर्ज किया गया था, लेकिन कोई गिरफ्तारी नहीं हुई। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके भाई पर उन लोगों ने हमला किया, जिन्होंने पत्रकार की भतीजी के साथ छेड़छाड़ की।
अब 24 अगस्त को बलिया में 5-6 बदमाशों ने बिना किसी खौफ के बलिया में एक पत्रकार की हत्या कर दी। पुलिस कह रही है कि मामला आपसी विवाद का था पत्रकारिता का इससे कोई लेना देना नहीं।
भले पत्रकार का आपसी मामला हो लेकिन क्या आम आदमी की जान की कोई वैल्यू नहीं है। क्या उनको सुरक्षा देना पुलिस का काम नहीं है। रोज हत्याएं हो रही हैं लेकिन पुलिस मूकदर्शक बनकर रह गई है।
एक तरफ पत्रकार जान पर खेल कर खबरें लाते हैं और दूसरी तरफ उनको इनाम में हत्या और एफआईआर मिलती है। योगी जी की पुलिस ने अब तक कई पत्रकारों पर महज इसलिए एफआईआर की है क्योंकि उन्होंने खबर चला दी थी।
चाहे वह बनारस की पत्रकार का मामला हो जिसने प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र की हकीकत को लिखा था या चाहे वह जौनपुर के मिड डे मील की खबर चलाने पर पत्रकार के ऊपर एफआईआर का मामला हो।
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