BY – FIRE TIMES TEAM
यूपी के पशुपालन विभाग में 292 करोड़ के फर्जी टेंडर दिलाने और 9 करोड़ 72 लाख हड़पने वाले मामले में पशुधन राज्यमंत्री जयप्रकाश निषाद के प्रधान निजी सचिव रजनीश दीक्षित समेत 10 जालसाजों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी गई है। लगभग 6 महीने चली जांच के बाद 10,000 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की गई।
एसीपी, गोमतीनगर की विवेचना में पाया गया कि, सचिवालय से लेकर सरकारी गाड़ियों का और अफसर की कुर्सी का गलत इस्तेमाल किया गया। इस घोटाले में एसटीएफ अब तक 9 लोगों को जेल भेज चुकी है। जबकि 1 आईपीएस समेत 7 की जांच अभी भी चल रही है।
इस पूरे फर्जीवाड़े में पशुधन राज्य मंत्री के प्रधान निजी सचिव रजनीश दीक्षित, मंत्री का निजी सचिव धीरज कुमार देव, इलेक्ट्रॉनिक चैनल का पत्रकार और खुद को पशुपालन विभाग का उपनिदेशक बताने वाला आशीष राय, अनिल राय , कथित पत्रकार ए के राजीव, रूपक राय, उमाशंकर शामिल थे। मुख्य साजिशकर्ता आशीष राय था जो विभाग के उपनिदेशक एस के मित्तल का फर्जी कार्यालय बनाकर इस्तेमाल कर रहा था।
इस घोटाले में संलिप्त दो आईपीएस अफसर भी निलंबित हो चुके हैं। पीड़ित व्यापारी ने डीआईजी अरविंद सेन पर सीबीसीआईडी मुख्यालय बुलाकर धमकाने का आरोप लगाया है। जबकि डीआईजी दिनेश चन्द्र दूबे पर भी गंभीर आरोप लगे हैं। पत्रकार संतोष मिश्र, डीआईजी अरविंद सेन और मुख्य आरक्षी दिलबहार यादव समेत 7 की विवेचना जारी है।
आखिर क्या है पूरा मामला ?
इस घोटाले की पोल तब खुली जब इंदौर के व्यापारी मंजीत सिंह भाटिया ने साल 2018 में लखनऊ के हजरतगंज कोतवाली मेें मुकदमा दर्ज करवाया था। मंजीत के आरोप के अनुसार उसे 214 करोड़ के टेंडर के बदले 3 फीसदी कमीशन देने का प्रस्ताव मिला था।
जांच में पता चला कि पशुपालन विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा जारी किया गया टेंडर फॉर्म संतोष शर्मा नामक व्यक्ति लेकर आया। इस सादे टेंडर फॉर्म पर मंजीत और उसकी पत्नी के हस्ताक्षर लिये गये। जिसके बाद उसने 1 करोड़ का भुगतान कमीशन के तौर पर कर दिया।
मंजीत ने 3 मई, 2018 को 50 लाख, 7 जुलाई को 50 लाख और 27 जुलाई को 2 करोड़ रूपये वैभव नाम के व्यक्ति को दिया। इसके बाद मंजीत के पास वैभव का फोन आया कि टेंडर उसे मिल गया है। उसने बताया कि आप लखनऊ आ जाइए, उपनिदेशक मित्तल साहब आप से मिलना चाहते हैं। और मंत्री जी से भी मिलवाना चाहते हैं।
31 अगस्त को मंजीत लखनऊ पहुंच गये तो उन्हें पशुपालन विभाग के विधानसभा सचिवालय स्थित सरकारी कार्यालय में आशीष राय ने खुद को एस के मित्तल बताकर मुलाकात की और फर्जी वर्क ऑर्डर की कॉपी भी दी। उसके बाद इन लोगों ने मंजीत से कई बार करोड़ो रूपये वसूले।
पशुधन विभाग के मंत्री की भी जांच पुलिस ने की, लेकिन इस घोटाले में उनकी कोई भी भूमिका नहीं पाई गई।