BY- FIRE TIMES TEAM
राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में तीन दर्जन से अधिक गधों की चोरी पुलिस के लिए बड़ा सिरदर्द बन गई है, जिसकी वजह से स्थानीय पुलिस अब अपराधियों की जगह हनुमानगढ़ के गांवों और बस्तियों में गधों की तलाश कर रही है।
नहर क्षेत्र में, गधों के मालिक अक्सर जरूरत पड़ने पर गधों पर सामान और मिट्टी ले जाते हैं और बाद में गधों को खुले में चरने के लिए छोड़ देते हैं। कुछ दिन पहले गधे घास चरने के लिए गए और कहीं गायब हो गए। क्षेत्र के कुछ लोगों ने गधों के मालिकों को सलाह दी कि वे मामले की पुलिस को रिपोर्ट करें और गधों को खोजने में उनकी मदद लें। तब से ही पुलिस मुश्किल में है।
जयपुर जिले के खुइयां थाना क्षेत्र में यह अजीबोगरीब मामला सामने आया है
बताया जा रहा है कि पिछले कुछ दिनों में अलग-अलग समय पर करीब चालीस गधे गायब हो चुके हैं। गधा मालिकों ने चोरी की शिकायत दर्ज कराई लेकिन शुरू में पुलिस ने उनकी शिकायत पर ध्यान नहीं दिया। पुलिस के रवैये से नाराज स्थानीय माकपा कार्यकर्ताओं और गधों के मालिकों ने मंगलवार को थाने में धरना दिया। उनके प्रदर्शन के बाद, पुलिस मंगलवार रात तक किसी तरह 15 गधों को थाने ले आई और मालिकों से उनके गधों को ले जाने के लिए कहा।
जल्द ही गधों के मालिक गधों को उनके पालतू जानवरों के नाम से पुकारने लगे। गधों को नामों से पुकारे जाने पर पुलिस हैरान रह गई लेकिन बाद में मालिकों ने पुष्टि की कि उनके गधे केवल विशिष्ट नामों का जवाब देते हैं। लेकिन जब गधों में से किसी ने कोई जवाब नहीं दिया, तो मालिकों ने कहा कि ये हमारे गधे नहीं हैं और पुलिस द्वारा लाए गए गधों को लेने से इनकार कर दिया।
इस बीच पुलिस का कहना है कि गधे उनके मालिकों की लापरवाही की वजह से खोये हैं। खुइयां थाने के प्रभारी विजयेंद्र शर्मा ने कहा कि गधों को ढूंढना बेहद मुश्किल साबित हो रहा है क्योंकि सभी गधे एक जैसे ही दिखते हैं।
शर्मा ने कहा, “पुलिस हमारे थाने के क्षेत्र से 15 गधों को ले आई, मालिकों ने उनके गधों का नाम चिंटू पिंटू, बबलू, कल्लू आदि रखा था, लेकिन गधों ने नामों का कोई जवाब नहीं दिया और उन्होंने उन पर कोई निशान नहीं लगाया। गधों की तलाश करना बहुत कठिन है।”
पुलिस, हालांकि, प्रदर्शनकारियों को यह समझाने में असमर्थ है कि बिना किसी निशान के गधों का पता लगाना कितना कठिन है। दूसरी ओर, गधा मालिक नाराज हैं और कहते हैं कि गधों के चोरी हो जाने के बाद उनकी आजीविका का साधन समाप्त हो गया है। उनका तर्क है कि केवल उनके गधे ही उनकी बातों को समझते हैं और अन्य गधों को बोझ ढोने के काम में लाना मुश्किल है। ऐसे में वे चाहते हैं कि पुलिस उनके गधों को बरामद कर उनके मालिकों को सौंप दे।
पुलिस का कहना है कि कुछ स्थानीय नेता पुलिस पर दबाव बना रहे हैं कि वह गधों के मालिकों को उनके आगामी चुनावों के कारण राजनीतिक लाभ के लिए समर्थन दे। इस अजीबोगरीब स्थिति में पुलिस 302, 307, एनडीपीएस जैसे गंभीर अपराधों पर अपना काम छोड़कर गधों की तलाश में जुटी है। पुलिस का कहना है कि न तो संभावित चोर मिल रहे हैं और न ही असली व वांछित गधे।
शर्मा ने आगे कहा, “गधों को खोजने के लिए, हमने 4-5 लोगों की एक टीम बनाई है। टीम गांव-गांव गधों की तलाश कर रही है। टीम आसपास के सभी गांवों में जा रही है और लापता गधों का पता लगाने के लिए लोगों की मदद भी ल रही है।”
गधों के मालिकों और माकपा कार्यकर्ताओं ने पुलिस को चेतावनी दी है कि अगर गधे नहीं मिले तो वे आंदोलन करेंगे। पुलिस का कहना है कि अगर वह सारे काम छोड़कर गधों को ले आते हैं, तो क्या गारंटी है कि गधा मालिक उन्हें फिर से चिंटू, पिंटू कहेंगे और गधों की प्रतिक्रिया होगी। कुल मिलाकर यह स्थानीय लोगों के लिए काफी हास्य का मुद्दा बन गया है लेकिन खुइयां पुलिस के लिए काफी परेशानी भरा माहौल है।
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