BY- BIPUL KUMAR
विपक्ष मर चुका हैं। यह आवाज 99% भारतीयों की हैं।
अगर देश आपके लिए केवल 15 अगस्त को झंडा फहराने का कार्यक्रम भर नहीं है। अगर देश का मतलब देश की जनता की हंसी- खुशी और आपके बच्चों के लिए सुंदर सफल भविष्य देने वाली एक ताकत का नाम है। अगर देश का मतलब उस सरजमीं से है जिस पर काबिज सरकार हर एक नागरिक को बिना गैरबराबरी के कहने सुनने रोज़गर पाने का अवसर देती है तो आपको राहुल गांधी की भारत जोड़ों यात्रा और नीतीश कुमार की विपक्ष जोरों यात्रा के साथ खड़ा रहना चाहिए।
राहुल की भारत जोड़ो यात्रा केवल कांग्रेस पार्टी की यात्रा नहीं है तमाम विचारधाराओं से परे यह यात्रा उस विचार के लिए भी है जो भारत को जोड़ कर रखने में यकीन करती है। यह उनकी यात्रा हैं जिनकी मुट्ठियाँ इस फासीवादी, अराजक, हास्यास्पद, पथभ्रष्ट सरकार को लेकर तन जाती है। याद रखें यह एक अवसर है जब हम विपक्ष की ताकत को मजबूत बेहद मजबूत कर सकते हैं।
वहीं आजकल नीतीश कुमार यूपीए-1 वाली सोनिया गांधी के नक्शे कदम पर चल रहे है। जो काम वो आज कर रहे है उसे राहुल गांधी 2014 या 2019 में भी कर सकते थे। लेकिन विपक्षी पार्टियों को एक सूत्र में बांधने की बजाए वो कांग्रेस में ही बंधे रहे। नीतीश जी अगर गठबन्धन तोड़ कर नहीं जाते तो लालू जी 2019 में यह काम कर चुके होते और शायद हिंदी पट्टी की बहुतायत सीटों पर विपक्ष को सफलता भी मिल गई होती।
मेरा मानना है ये सब बहुत पहले हो जाना चाहिए था। आज की परिस्थिति के लिए राहुल, ममता, केसीआर, पवार, अखिलेश, नीतीश बराबर के ज़िम्मेदार है। कई मुख्यमंत्रियों के प्रधानमंत्री बनने की निजी महत्वाकांक्षा ने भी देश को गर्त में डालने में अहम योगदान दिया है।
ऐसा नहीं है सबकुछ पहले ही घोषित हो जाए, बिना उम्मीदवार के भी चुनाव जीते गए है। इसी देश ने बिना किसी चेहरे के अटल बिहारी वाजपेई को गद्दी से उतारा है। इंदिरा गांधी जैसी सशक्त महिला खण्डित विपक्ष के सामने हारी है। इसलिए आज नीतीश कुमार ने जिस काम का जिम्मा उठाया है इसके लिए उन्हें धन्यवाद दीजीए।
यह भी पढ़ें- क्या 2024 के चुनाव में बीजेपी का 50 सीटों पर सिमटना संभव हैं?