BY – FIRE TIMES TEAM
कोरोना पूरे देश में तेजी से अपने पांव पसार रहा है, कुल मामले 24 लाख के पार हो गये हैं। और देश में कोरोना से मरने वालों की संख्या 50 हजार (47532) को छूने वाली है। और दिन-प्रतिदिन आने वाले कोरोना के नए मामलों के रिकार्ड बन रहे हैं।
बीते रविवार को बीएड की प्रवेश परीक्षा प्रदेश के विभिन्न जिलों में आयोजित की गई थी। जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग की जमकर धज्जियां उड़ाई गई। और अब सरकार आगामी 16 अगस्त को खण्ड शिक्षा अधिकारी (BEO) भर्ती की प्रारंभिक परीक्षा कराने जा रही है।
कोरोना के चलते परीक्षा को स्थगित करने के लिए प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति संगठन की ओर से एक जनहित याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल की गई थी। जिसे हाईकोर्ट ने यह कहकर खारिज कर दी कि परीक्षा के खिलाफ प्रतियोगी छात्र को अदालत नहीं आना चाहिए।
इसी तरह स्नातक और परास्नातक के फाइनल ईयर के छात्रों ने भी यूजीसी के सितम्बर में ही परीक्षा कराने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। जिसके बारे में कोर्ट फैसला करेगा।
इस परीक्षा के दौरान कोरोना नियमों का मखौल उड़ना जायज सी बात होगी। यूपी सरकार ने कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए तमाम दिशा-निर्देश जारी कर रखे हैं। इसमें जुर्माना भी शामिल है। लेकिन इसका पालन करा पाना सरकार के लिए टेढ़ी खीर साबित होगा।
इस परीक्षा का आयोजन प्रदेश के 22 जिलों में किया जायेगा। जिसमें करीब 5 लाख 15 हजार परीक्षार्थियों के शामिल होने की संभावना है। जिसमें आने वाले छात्र-छात्राओं के कोरोना संक्रमित होने खतरा भी है।
एक तो सरकार कोरोना से निपटने के लिए सप्ताह में दो दिन लॉकडाउन लगाती है। शादी-विवाह और अंतिम संस्कार में लोगों के इकट्ठा होने पर पाबंदी लगाती है। दूसरी तरफ ऐसी परीक्षायें कराती है जिसमें कोरोना के सारे नियम कायदे ढेर हो जाते हैं।
प्रतियोगी छात्रों ने इस परीक्षा को स्थगित करवाने के लिए भाजपा सांसद वरूण गांधी से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भिजवाया है। इसके अलावां सोशल मीडिया पर भी आयोग के खिलाफ अभियान चला रहे हैं।
फिलहाल आगामी 16 अगस्त को होने वाली बीईओ की प्रारम्भिक परीक्षा को लेकर प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति की तरफ से कोई नई प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन प्रदेश के अभ्यर्थियों पर कोरोना संक्रमण का खतरा तो बना ही रहेगा।