BY- FIRE TIMES TEAM
ऐसे समय में जब उन राज्यों में जहां हिंदी भाषा नहीं बोली जाती है वहां पर हिंदी भाषा को आजमाने के लिए केंद्र की राष्ट्रीय शिक्षा नीति गहन जांच के दायरे में आ गई है, यह सामने आया है कि तमिलनाडु के सरकारी योग और प्राकृतिक चिकित्सा डॉक्टरों से कहा गया कि अगर वे हिंदी नहीं समझते हैं, तो केंद्रीय आयुष मंत्रालय द्वारा हाल ही में आयोजित एक वेबिनार को छोड़ दें।
प्रतिभागियों का कहना है कि मास्टर ट्रेनरों के लिए तीन दिवसीय वर्चुअल प्रशिक्षण कार्यक्रम 18 से 20 अगस्त तक आयोजित किया गया था।
वेबिनार में विभिन्न राज्यों के लगभग 350 लोगों ने भाग लिया, उनमें से 37 लोग तमिलनाडु के थे। उनमें से कोई भी हिंदी नहीं जानता था, लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि प्रशिक्षण सत्रों में बातचीत का माध्यम अधिकांश हिंदी था।
चेन्नई के एक चिकित्सक ने कहा, “मंत्रालय द्वारा प्रशिक्षित योग स्वामी अन्य प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए रखे जाते हैं, जो आयुष वेलनेस सेंटरों में तैनात होते हैं।”
चिकित्सक ने कहा, “अधिकांश सत्र हिंदी में आयोजित किए गए थे। तीसरे दिन आयुष मंत्रालय के सचिव राजेश कोटेचा ने भी हिंदी में अपना भाषण शुरू किया।”
उन्होंने बताया, “जब हम लोगों को कुछ समझ नही आया तो उनसे अनुरोध किया कि वे अंग्रेजी में बोलें। लेकिन उन्होंने कहा कि हम लोगों को अगर हिंदी समझ नहीं आ रही है तो हम वेबिनार छोड़ सकते हैं क्योंकि उन्हें अच्छी तरह से अंग्रेजी बोलना नहीं आता था।”
सोशल मीडिया पर साझा की गई एक ऑडियो क्लिप में राजेश कोटेचा को यह कहते हुए सुना गया, “मैं आप सभी को बैठक में भाग लेने के लिए बधाई देता हूं। जिन लोगों की रुचि नहीं है, वे बैठक छोड़ सकते हैं क्योंकि मैं हिंदी में ही बोलूंगा क्योंकि मुझे अंग्रेजी अच्छी तरह से नहीं आती है।”
डॉक्टरों ने पूछा कि प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने का क्या उपयोग या महत्व है जब कुछ लोग समझ नहीं पाए कि क्या पढ़ाया गया था।
तीन दिवसीय वर्चुअल प्रशिक्षण कार्यक्रम 18 से 20 अगस्त तक आयोजित किया गया था।
विभिन्न राज्यों के लगभग 350 लोगों ने वेबिनार में भाग लिया, उनमें से 37 तमिलनाडु के थे। उनमें से कोई भी हिंदी नहीं जानता था, जो अधिकांश सत्रों में बातचीत का माध्यम था।