प्रतीकात्मक चित्र ( फोटो सोर्सः ट्विटर )

यूपी विधानसभा चुनाव 2022ः शिवपाल का सपा में विलय से इनकार, 21 दिसंबर को विधानसभा चुनाव का फूकेंगे बिगुल

BY – FIRE TIMES TEAM

पिछले महीने प्रदेश में सम्पन्न हुए विधानसभा उपचुनाव के बाद आए नतीजों ने उत्तर प्रदेश की पार्टियों के अंदर खलबली मचा दी थी। सभी ने आगामी विधानसभा चुनाव 2022 की तैयारियों के मद्देनजर तमाम बयान दिए।

पिछले दिनों पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा था कि सपा 2022 के चुनाव में शिवपाल के प्रसपा के साथ चुनाव लड़ेगी। इसके बाद भी तमाम अटकले लगती रहीं कि क्या सचमुच इस गठबंधन को दोनों आगे ले जा पायेंगे।

और अब यह खबर आ रही है कि प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल यादव ने खुद इस गठबंधन से अलग होने का ऐलान कर दिया है। और इसका कारण सीटों के बटवारे और मंत्री पद को बताया।

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प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने लखनऊ में प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव के लिए प्रसपा का समाजवादी पार्टी में विलय नहीं होगा बल्कि छोटी-छोटी पार्टियों के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ेंगे।

उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव द्वारा मुझे एक सीट या फिर कैबिनेट मंत्री पद देना एक मजाक है। हम आगामी 21 दिसंबर को मेरठ में रैली कर यूपी विधानसभा चुनाव का बिगुल फूंकेंगे। इसके बाद गांव-गांव में पद यात्रा करेंगे।

शिवपाल ने बताया कि 21 दिसंबर को मेरठ के सिवाल खास विधानसभा क्षेत्र में रैली करेंगे। इसके बाद 23 दिसंबर को इटावा के हैवरा ब्लॉक में चौधरी चरण सिंह के जन्मदिवस पर एक कार्यक्रम का आयोजन होगा।

इसके बाद 24 दिसंबर से गांव-गांव पदयात्रा की जाएगी जो कि अगले छह महीने तक चलेगी। उन्होंने बताया कि इसके लिए प्रचार रथ तैयार किया जा रहा है।

शिवपाल सिहं यादव ने कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों का समर्थन किया और कहा कि कृषि विरोधी बिल के खिलाफ दिल्ली आ रहे पंजाब व हरियाणा के किसानों को शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने से रोका जा रहा है। कड़ाके की सर्दी के बावजूद उन पर आंसू गैस, लाठियां व वॉटर कैनन चलाया जा रहा है।

अन्नदाताओं पर ऐसा अमानवीय अत्याचार करने वालों को सत्ता में बने रहने का अधिकार नहीं है। लोकतंत्र में सांकेतिक विरोध प्रदर्शन का अधिकार सभी को है।

यही लोकतंत्र की ताकत है। बड़ी सी बड़ी समस्याओं को बातचीत के द्वारा हल किया जा सकता है। जन आकांक्षा के दमन और लाठीचार्ज के लिए लोकतंत्र में कोई जगह नहीं है ।

 

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