ट्रेन में प्रवासी मजदूरों को नहीं नसीब हुआ कई दिनों तक पानी और खाना, गुस्साए मजदूरों ने किया विरोध

BY- FIRE TIMES TEAM

उत्तर प्रदेश और बिहार राज्य से होकर गुजरने वाली विशेष ट्रेनों में प्रवासी मजदूरों ने ट्रेन में यात्रा के दौरान अनियमित स्थितियों और भोजन, पानी के विलंब की शिकायत करते हुए विरोध प्रदर्शन किया।

कई लोगों ने आरोप लगाया कि उन्हें यात्रा के दौरान कुछ भी खाने या पीने के लिए नहीं दिया गया, जबकि अन्य का दावा है कि उन्हें सड़ा हुआ भोजन खिलाया गया।

आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम से बिहार के लिए जाने वाली ऐसी ही एक ट्रेन के कर्मचारियों ने शुक्रवार को रेल पटरियों को अवरुद्ध कर दिया और दस घंटे तक दीन दयाल उपाध्याय रेलवे जंक्शन के बाहरी सिग्नल पर इकट्ठे होने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ नारेबाजी की।

ट्रेन में सवार प्रवासी श्रमिकों में से एक, धीरेन राय ने कहा, “ट्रेन कल रात 11 बजे यहां आई थी और तब से यहां खड़ी है।”

उन्होंने बताया, “हमें दो दिनों तक खाना नहीं मिला। हमें इस यात्रा के लिए प्रत्येक को 1,500 रुपये देने के लिए भी मजबूर होना पड़ा।”

अन्य श्रमिकों ने कहा कि उन्हें यात्रा के दौरान पीने का पानी भी नहीं दिया गया।

उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में, बेंगलुरू, कर्नाटक से बिहार की ओर जा रही एक ट्रेन के यात्रियों ने खिड़की के शीशे तोड़ दिए और ट्रेन का एक अनिर्धारित स्टॉप किए जाने के बाद प्लेटफार्म पर पत्थर फेंके।

प्रवासियों ने अपनी यात्रा के दौरान भोजन और पानी नहीं मिलने का विरोध कर रहे थे। घटना में स्टेशन मास्टर को मामूली चोटें आईं।

उन्नाव के जिला मजिस्ट्रेट रवींद्र कुमार ने इस घटना को स्वीकार करते हुए कहा कि उचित व्यवस्था की जाएगी ताकि प्रवासी मजदूरों को किसी भी समस्या का सामना न करना पड़े।

उन्होंने कहा, “हमने स्टेशन मास्टर को सभी प्लेटफार्मों पर पानी की पर्याप्त व्यवस्था करने के लिए निर्देशित किया है। उन्होंने कहा कि वे ये सुनिश्चित करेंगे कि यात्रियों को किसी भी समस्या का सामना न करना पड़े।”

शुक्रवार शाम को, गुजरात से बिहार जाने वाली एक विशेष ट्रेन में सवार प्रवासी श्रमिकों ने उत्तर प्रदेश के कानपुर जंक्शन पर उन्हें दिया हुआ भोजन फेंक दिया और दावा किया कि यह सड़ा हुआ था।

एक अज्ञात कार्यकर्ता ने कहा, “शौचालय में भी पानी नहीं है। हमें क्या पीना चाहिए? हमे दिया गया खाना ऐसा लग रहा था जैसे चार या पाँच दिन पहले पकाया गया था, इसीलिए हमने सारा खाना फेंक दिया।”

महाराष्ट्र के पनवेल से उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के लिए चलने वाली एक अन्य ट्रेन 10 घंटे से अधिक समय तक वाराणसी के पास खड़ी रही।

देरी को लेकर गुस्साए कई यात्री ट्रेन से उतर गए और रेलवे पटरियों पर बैठ गए। आखिरकार रेलवे पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा और मौजूद सभी लोगों को शांत करने के लिए मुफ्त भोजन दिया गया।

गोविंद कुमार राजभर ने कहा, “हमें महाराष्ट्र में खाना मिला, लेकिन उत्तर प्रदेश में कुछ नहीं मिला।”

उन्होंने कहा, “ट्रेन काशी [वाराणसी] में सात घंटे तक खड़ी रही, फिर वह चल पड़ी और फिर दो घंटे तक खड़ी रही। बाद में फिर चली और फिर खड़ी हो गई।”

जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मार्च में देशव्यापी लॉक डाउन की घोषणा की, तो हज़ारों प्रवासियों और उनके परिवारों को काफी मुश्किल में आ गए क्योंकि रातोंरात उनकी नौकरी चली गई और लॉक डाउन की वजह से उन्हें वापस अपने घर जाने के लिए कोई साधन भी नहीं मिला जिसकी वजह से उन्हें पैदल या साईकिल से वापस जाना पड़ा।

पैदल घर जाने की कोशिश में कई प्रवासियों की मौत भी हो गई जिसमें कुछ को ट्रेनों के नीचे आके मर गए, कुछ ट्रॅक के नीचे आके मारे गए और कई लोगों की जान हजारों किलोमीटर पैदल चलने की वजह से थककर हो गई।

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