BY- FIRE TIMES TEAM
18 मई की सुबह नोएडा प्रशासन ने एक प्रेस बुलेटिन में बताया कि ज़ी न्यूज़ में काम करने वाले 51 पत्रकारों व कर्मचारियों का कोरोना टेस्ट हुआ था जिसमें से 28 कोरोना पॉजिटिव पाए गए।
इस बुलेटिन के बाद मीडिया जगत में खलभली मच गई। नोएडा के सेक्टर16-ए में जो फ़िल्म सिटी है वह मानो कोमा में चली गई हो। लोगों ने ज़ी न्यूज़ को लेकर ट्वीटर पर ट्रेंड कराने लगे। ज़ी न्यूज़ को सील करने की बात भी करने लगे। नोएडा के डीएम ने भी अपने ट्वीटर अकॉउंट के ऑफिसियल पेज पर इस न्यूज़ को शेयर किया।
इस खबर के बाद कुछ पत्रकारों व न्यूज़ वेबसाइट ने ज़ी न्यूज़ व उसके पत्रकार सुधीर चौधरी को लेकर खुलासे किए। न्यूज़लॉन्ड्री ने सुधीर चौधरी को लेकर कई खुलासे किए। जिसमें कर्मचारियों पर दबाव, तबियत खराब होने की दशा में भी काम करना, सोशल डिस्टेन्स का ख़याल न करना शामिल हैं।
ज़ी न्यूज़ के सुधीर पर आरोप है कि उन्होंने कर्मचारियों पर ऑफिस में आकर काम करने का दबाव बनाया। जो कर्मचारी ऐसा नहीं करते उनको भविष्य में भुगतने को तैयार रहने के लिए बोला गया।
न्यूज़लॉन्ड्री के मुताबिक ज़ी न्यूज़ के एक कर्मचारी ने बताया कि सुधीर चौधरी ने सबको धमकाते हुए कहा, “मैं कल से यह नहीं सुनना चाहता कि किसी को बुखार आ रहा है, खांसी आ रही है। बुखार तो सबका ठीक हो जाएगा लेकिन उसके लिए बाकी चीजें फिर कभी ठीक नहीं होंगी। ध्यान रहे।”
इस धमकी के यही लगता है कि न तो सुधीर चौधरी को कोरोना से कोई डर है और न ही उन्हें सरकार के नियमों की कोई परवाह। यहां सवाल यह उठता कि इस चैनल व सुधीर चौधरी के खिलाफ कब कार्यवाही होगी? क्या सरकार इनका बचाव कर रही है जबकि इस समय पत्रकारों पर दर्जनों एफआईआर हुई हैं।
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जब सरकार वर्क फ्रॉम होम कह रही थी तब सुधीर चौधरी ऑफिस आने के लिए कर्मचारियों पर तबाव बना रहे थे। तो क्या अब कोरोना फैलाने के लिए इनको जिम्मेदार नहीं माना जाना चाहिए?