BY- FIRE TIMES TEAM
लॉकडाउन के कारण अर्थव्यवस्था चौपट हो गई है। केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारों के खजाने खाली हो गए हैं। शराब की बिक्री से हर साल करीब दो लाख करोड़ रुपया सरकार की झोली में जाता है। शराब से कमाने के मामले में उत्तर प्रदेश पहले नंबर पर बना हुआ है।
अकेले उत्तर प्रदेश की सरकार ही केवल शराब बिक्री से 30 हज़ार करोड़ से ज्यादा सालाना कमाती है। दूसरी ओर यह प्रदेश बीमारू राज्य की श्रेणी में भी आता है। गरीबी के मामले में भी पिछलग्गू राज्यों की लिस्ट में बना हुआ है।
अब जब इतनी बड़ी रकम केवल शराब बिक्री से प्राप्त हो जाती है तो सरकार कहाँ तक इस लॉकडाउन में इतनी बड़ी रकम को छोड़ सकती थी और फिर क्या उसने दुकानों को खोल दिया।
40 दिन शराब के शौकीन घर में किसी तरह से बैठे थे। जैसे ही दुकानें खुलीं लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। दिल्ली में पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा तो कई जगह दुकानों में ताला लगाने की नौबत आ गई।
जितनी लंबी लाइनें हमने लगा दी उतनी लंबी तो यूरोप, अमेरिका और रूस ने कभी देखी भी नहीं होगी। शारीरिक दूरी की धज्जियां उड़ गई। सरकर की बदइंतजामी साफ तौर पर देखी जा सकती थी।
विदेश में बैठे जो यहां के वीडियो और फ़ोटो देख रहे हैं वह हैरान रह गए। पूछने लगे कि क्या भारत दारूकुटटों का कोई देश है? उनको सफाई के तौर पर हम बता रहे हैं कि दारू तो सबसे ज्यादा अमेरिका, यूरोप में पी जाती है। हमारे यहां थोड़ी अव्यवस्था फैल गई जो कि सरकार की नाकामी है।
अब सवाल है कि क्या हम सिर्फ शराब से ही दो लाख करोड़ की भरपाई कर सकते हैं या कोई और भी रास्ता है? इसके लिए एक ही जवाब है गुजरात और बिहार। जब यह राज्य बिना शराब की बिक्री के अपनी अर्थव्यवस्था संभाल सकते हैं तो दूसरे क्यों नहीं?