कोरोना संकट के बीच दिल्ली हिंसा को लेकर कई लोगों की गिरफ्तारियां हुई हैं। जिनमें जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्र और छात्राएं भी शामिल हैं। इनमें सबसे ज्यादा नाम जो चर्चा में रहा है वह सफूरा जरगर।
कुछ छात्रों पर यूएपीए के तहत भी कार्यवाही हो रही है जिसकी बहुत सारे बुद्धजीवियों ने निंदा भी की है। कई लोग सरकार की इस कार्यवाही को एकतरफा बता रहे हैं।
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सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्केंडेय काटजू अपनी एक फेसबुक पोस्ट के माध्यम से सरकार पर हमला बोला है। सरकार की कार्यवाही पर सवालिया निशान भी लगाया।
उन्होंने लिखा, ‘भारत में उलटी गंगा बह रही है। इखलाक, पहलू खान, तबरेज़ अंसारी की लिंचिंग हुई, उनके ही रिश्तेदारों पर मुक़दमे चल रहे हैं। निर्दोष लोग सफूरा ज़रगर, कफील खान, शरजील इमाम जेल में हैं। सांप्रदायिक हिंसा फैलाने वाले कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर आज़ाद घूम रहे हैं। न्यायपालिका ने आँख मूँद ली।
Hari Om‘
2020 का दिल्ली दंगा:
दिल्ली विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद 23 फरवरी को उत्तर पूर्वी दिल्ली में दंगे भड़क उठे थे। इस दंगे में 53 लोग मारे गए थे। तीन चौथाई लोग मुस्लिम थे जो इन दंगों में मारे गए थे।
23 फरवरी को जब दंगे शुरू हुए थे उससे कुछ घंटों पहले ही बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने दिल्ली पुलिस को धमकी दी थी। कपिल मिश्रा ने एक सड़क को खाली करने को लेकर दिल्ली पुलिस को आगाह किया था।
इस दंगे में ज्यादातर लोगों की मौत गोली लगने से हुई थी। एक हफ्ते से भी ज्यादा समय में ये दंगे शांत हो पाए थे। लगभग 1000 मुस्लिम समुदाय के लोगों को दूसरी जगहों पर राहत शिविरों में रखा गया था।
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