हज़ारों करोड़ की मूर्तियां न बनाते तो आज कर्मचारियों के भत्ते काटने की नौबत आती क्या?


BY- FIRE TIMES HINDI


कोरोना महामारी से देश की विभिन्न आर्थिक व गैर-आर्थिक गतिविधियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इस कारण सरकार की राजस्व स्थिति भी काफी प्रभावित हुई है।

आर्थिक स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार ने जुलाई 2021 तक केंद्र सरकार के 48 लाख कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनभोगियों के महंगाई भत्ते में होने वाली वृद्धि पर रोक लगा दी है।

आपको बता दूं इसी वर्ष मार्च महीने में केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के महंगाई भत्ते में 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी का ऐलान किया था। अप्रैल के महीने में इनको जनवरी से मार्च तक बढ़ा हुआ DA मिलने की उम्मीद थी।

यही नहीं आने वाले साल में भी किसी प्रकार के महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी नहीं की जाएगी। वर्तमान समय के अनुसार सभी कर्मचारियों और पेंशन भोगियों को महंगाई भत्ता मिलता रहेगा।

सरकार द्वारा महंगाई भत्ते(DA) और महंगाई राहत (DR) में कटौती से मौजूद वित्तीय वर्ष  और 2021-22 में तकरीबन 37,530 करोड़ की बचत की जा सकेगी। इस बचत को सरकार स्वास्थ्य व कल्याण के कार्यों पर खर्च कर सकती है।

कुछ विश्लेषकों को मानना है कि यदि राज्य सरकार भी ऐसा करती हैं तो 82566 करोड़ रुपये बचाये जा सकते हैं।

अब सवाल उठना लाजमी है कि क्या कर्मचारियों को इससे समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा? क्या सरकार के पास कोई और विकल्प नहीं था? क्या सरकार पूंजीपतियों की मदद नहीं ले सकती थी? या फिर उसके पास वाकई पैसे की कमी है?

आपको कुछ समय पहले जाना होगा जब सरकार हजारो करोड़ की मूर्ति बना रही थी। आपको सरदार पटेल की मूर्ति भी याद है या नहीं? गुजरात में बनी इस अकेली मूर्ति पर करीब तीन हजार करोड़ का खर्चा आया था।

दीन दयाल उपाध्याय के जन्म दिन को लेकर सैकडों करोड़ खर्च हो गए। अयोध्या के दीपोत्सव में भी कई करोड़। और उसको लेकर जो विज्ञापन अखबारों में चलाए गए उसमें भी सैकड़ों करोड़।

गुजरात के मुख्यमंत्री ने अपने लिए कितने करोड़ का जहाज खरीदा था क्या आपको याद? अगर याद है तो आपको उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नाम परिवर्तन पर कितना खर्च किया वो भी आरटीआई से मांगना चाहिए।

ये सब तब उन कर्मचारियों को बहुत अच्छा लग रहा था जो आज भत्ते के काटे जाने से नाराज हो गए हैं।

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