BY- FIRE TIMES TEAM
उत्तराखंड पुलिस ने एक दलित रसोइया को सरकारी स्कूल से बर्खास्त करने के मामले में 30 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
बर्खास्त रसोइया सुनीता देवी ने शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस ने आरोपी व्यक्तियों पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, और भारतीय दंड संहिता की धारा 506 (धमकाना) की धाराओं के तहत आरोप लगाए हैं।
चंपावत जिले के पुलिस अधीक्षक देवेंद्र पिंचा ने बताया कि छह आरोपियों में महेश चौराकोटी, दीपा जोशी, बबलू गहटोरी, सतीश चंद्र, नागेंद्र जोशी और शंकर दत्त शामिल हैं। अन्य 24 आरोपियों की पहचान नहीं हो पाई है, और अज्ञात लोगों की सूची में मामला दर्ज किया गया है।
सभी आरोपी सुखीढांग गांव और आसपास के इलाके के रहने वाले हैं। लेकिन कमाल की बात ये है कि इस मामले में अब तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है।
सुनीता देवी को 23 दिसंबर को स्कूल में 43 उच्च जाति के छात्रों द्वारा
उनके द्वारा बनाये गए मिड डे मील भोजन को न खाने की वजह से बर्खास्त कर दिया गया था। जिला अधिकारियों ने दावा किया कि सुनीता देवी की नियुक्ति में नियमों का उल्लंघन किया गया था।
सुनीता देवी की बर्खास्तगी के बाद यह हुआ कि स्कूल के 23 दलित छात्रों ने उच्च जाति के रसोइए द्वारा तैयार किया गया मिड डे मील भोजन खाने से इनकार कर दिया। सुनीता देवी को 13 दिसंबर को स्कूल में नियुक्ति मिली था। उन्होंने उच्च जाति की महिला शकुंतला देवी की जगह ली थी।
सुनीता देवी की नियुक्ति के बाद सवर्ण छात्रों के अभिभावकों ने भी मिड डे मील भोजन के बहिष्कार का समर्थन किया था। उन्होंने आरोप लगाया कि सुनीता देवी को एक योग्य उम्मीदवार पुष्पा भट्ट पर वरीयता दी गई, जो एक ब्राह्मण हैं, जो उच्च जातियों में से एक है।
सरकार ने तब स्कूल में सुनीता देवी की नियुक्ति की जांच की। नियमों के अनुसार, रसोइया की नियुक्ति उप-शिक्षा अधिकारी से मंजूरी के अधीन है।
25 दिसंबर को, आम आदमी पार्टी ने घोषणा की थी कि दिल्ली सरकार सुनीता देवी को नौकरी देगी।
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