तब्लीगी जमात को लेकर देश में ऐसा माहौल बनाया गया जैसे सारी समस्याओं की जड़ वही है। गोदी मीडिया ने इनपर कोरोना फैलाने का आरोप लगा दिया। हफ़्तों टीवी चैनल पर बस तब्लीगी जमात को ही दिखाया गया।
इससे एक तरफ तो लोगों के बीच नफरत फैली दूसरी तरफ सरकार की जिम्मेदारी पर कोई सवाल ही नहीं उठ पाया। देश की जनता तब्लीगी में ही उलझ कर रह गई।
अब जब रोज 60-60 हज़ार केस मिल रहे हैं तब सब शांत हैं। लेकिन नयायालय के निर्णयों ने तब्लीगी जमात को लेकर जो जहर फैलाया गया उसपर सोचने के लिए विवश कर दिया है।
पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने मीडिया को फटकार लगाई और कहा कि राजनीति के लिए तब्लीगी जमात के लोगों को बलि का बकरा बनाया गया है। इसका मतलब साफ था कि पैसे देकर खबरें चलाई जा रहीं थीं।
अब दिल्ली हाइकोर्ट ने 8 तब्लीगी जमात के लोगों से केस हटा दिया है। कोर्ट ने कहा है कि तब्लीगी जमात के इन लोगों के खिलाफ ऐसे कोई सबूत नहीं हैं जिससे इनके ऊपर मुकदमा चलाया जाए।
मतलब साफ है कि तब्लीगी जमात के लोगों को परेशान करने के लिए ये मुक़दमें दायर किये गए थे। पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी कहीं न कहीं सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं।
क्या पुलिस किसी के दबाव में आकर काम कर रही थी? राजनीतिक माहौल तैयार करने के लिए पुलिस का सहारा लिया गया? क्या पुलिस भी इस षणयंत्र का हिस्सा थी?
हाई कोर्ट ने तब्लीग़ी जमात के आठ सदस्यों को रिहा करते हुए कहा है कि इनके ख़िलाफ़ ‘प्रथम दृष्टया कोई भी सबूत नहीं’ है। मतलब बिना सबूत के ही पुलिस धड़ाधड़ केस कर रही थी?
बहरहाल जो भी हो सच सबके सामने आना चाहिए। गोदी मीडिया को देश के लोगों से माफी मांगनी चाहिए। चैनल पर नए सिरे से डिबेट होनी चाहिए।