लव जिहाद को लेकर पूरे देश में नए स्तर से बहस छिड़ गई है। इसके पीछे की वजह कई प्रदेशों की सरकारें हैं। मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक की राज्य सरकारों ने इसको लेकर कानून बनाने की बात कही है।
उत्तर प्रदेश में लव-जिहाद और धर्म धर्मांतरण की घटनाओं पर लगाम कसने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसको लेकर कदम उठा भी लिया। मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020 को मंजूरी दे दी गई है।
अब इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय के पूर्व जज मार्कंडेय काटजू ने अपना ओपिनियन दिया है। उन्होंने एक वेबसाइट के लिए लिखे गए अपने ओपिनियन में इसे मुद्दे से भटकाने वाला उपाय बताया। उन्होंने लिखा,
देश के सामने असली मुद्दे व्यापक गरीबी, रिकॉर्ड और बढ़ती बेरोजगारी, एक डूबती अर्थव्यवस्था, बाल कुपोषण, भोजन और ईंधन की आसमान छूती कीमतें, जनता के लिए उचित स्वास्थ्य सेवा और अच्छी शिक्षा का लगभग पूरा अभाव, निरंतर किसान संकट, भ्रष्टाचार आदि हैं।
चूंकि सरकार को इनका समाधान करने का कोई विचार नहीं है, इसलिए इसे नौटंकी और स्टंट का सहारा लेना चाहिए। लव जिहाद नवीनतम (पहले वाले योग दिवस, स्वछता अभियान, धारा 370 आदि का हनन) है और इसका धार्मिक आधार पर समाज को और अधिक ध्रुवीकरण करने का लाभ है जो कुछ निहित स्वार्थों को पूरा करता है।
उन्होंने आगे लिखा, रोमन सम्राट कहते थे “यदि आप लोगों को रोटी नहीं दे सकते, तो उन्हें सर्कस दें”, और फ्रांस की क्वीन मैरी एंटोनेट ने कहा “यदि लोगों के पास रोटी नहीं है, तो उन्हें केक खाने दो”। हमारे अपने सम्राट कहते हैं, “चूंकि हम लोगों को रोटी या रोजगार नहीं दे सकते, हम उन्हें लव जिहाद दे रहे हैं”
पिछले कुछ महीनों से लव जिहाद का मुद्दा खूब उछाला जा रहा है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने बीजेपी के उन नेताओं पर ही लव जिहाद का आरोप लगा दिया था जिन्होंने मुस्लिम होकर हिन्दू महिलाओं से शादी की थी।
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