BY- FIRE TIMES TEAM
बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर जिले के गाँवों में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत सरकारी निधियों के डूबने से जुड़े एक बड़े फर्जीवाड़े का पता चला है।
एक मामले में, 66 साल से अधिक उम्र की एक गाँव की महिला ने 13 महीने के अंतराल में आठ शिशुओं को जन्म दिया गया है।
कम से कम 50 बुजुर्ग महिलाओं के नाम – राष्ट्रीय मातृत्व लाभ योजना के तहत “लाभार्थियों” केे रूप में पिछले साल से प्रति माह 1,400 रुपये प्राप्त करने के लिए किया जा रहा था।
मुशहरी प्रखंड में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र द्वारा कवर की गई महिलाओं की जानकारी के बिना ही अगले दिन प्राप्त धन को उनके बैंक खातों से निकाल लिया जाता था।
उदाहरण के तौर पे
शांति देवी के सबसे छोटे बेटे की उम्र 20 साल से अधिक है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने 13 महीने में 2019 से छह बार अस्पताल में बच्चे का जन्म दिखाया और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत उसके खाते में 1,400 रुपये जमा करना जारी रखा।
उसे वृद्धावस्था पेंशन मिलती है और पिछले 20 वर्षों में वह गर्भवती नहीं हुई है।
यह साबित करता है कि घोटाला करने वाले न केवल बैंक खातों को जानते थे बल्कि वे सरकारी धन को लूटने के लिए पूरे सिस्टम की जानकारी उनके पास थी और यह भी हो सकता है कि सरकारी लोगो भी इसमें शामिल हों।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, “चूंकि मुशहरी ब्लॉक के एक राष्ट्रीयकृत बैंक के सामुदायिक सेवा बिंदु (CSP) का उपयोग किया गया था, स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत की जांच होनी चाहिए।”
जिला पुलिस ने कहा कि सीएसपी संचालक सुशील कुमार फरार है। मुजफ्फरपुर के जिलाधिकारी चंद्रशेखर सिंह ने एडीएम राजेश कुमार की अगुवाई में जिले के अधिकारियों की चार सदस्यीय टीम ने जांच के आदेश दिए हैं।
सरकार के प्रवक्ता ने कहा, “समिति पिछले एक साल में योजना के तहत किए गए भुगतानों के विवरण के साथ अगले दो दिनों में अपनी रिपोर्ट देगी।”
मुजफ्फरपुर एसएसपी जयकांत ने कहा कि अधिकारियों द्वारा लिखित शिकायत दर्ज किए जाने के बाद प्राथमिकी दर्ज की जाएगी।
इस बीच, राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने राज्य स्वास्थ्य सोसायटी के कार्यकारी निदेशक मनोज कुमार को मामले को देखने के लिए कहा है।