एक साल में ही हकीकत बन गयी है वेक्सीन पासपोर्ट /इम्यूनिटी पासपोर्ट, क्या ID 2020 अब एक हकीकत है?

BY- पुनीत सम्यक

तो आज सुबह की हेडलाइन यह है कि मोदीजी ने वेक्सीन लगवा ली है पूरे विश्व मे एक खतरनाक खेल शुरू हो गया है यह खेल है डिस्क्रिमिनेशन का, भेदभाव का।

यह नयी विश्व व्यवस्था की शुरुआत है क्योंकि एक नया पासपोर्ट अस्तित्व में आया है। वो बात जो सपने में ही सोची जा सकती थी एक साल में ही हकीकत बन गयी है वेक्सीन पासपोर्ट /इम्यूनिटी पासपोर्ट अब एक हकीकत है, ID 2020 अब एक हकीकत है।

आगे क्या होने जा रहा है इसकी झलक हमें इजरायल के उदाहरण से मिल जाएगी

इस्राइल में करीब आधी आबादी का टीकाकरण किया जा चुका है। 90 लाख में से 40 लाख से अधिक लोगों को कोरोना वैक्सीन की दो डोज दी जा चुकी हैं, इस्राइल में जिन लोगों को कोविड वैक्सीन की दो डोज दी जा चुकी हैं, उनके लिए ग्रीन पासपोर्ट इश्यू किया जा रहा है।

ग्रीन पासपोर्ट वाले लोग ही नाइट क्लब बार, रेस्तरां और सिनेमा जा सकते है, जिनके पास ग्रीन पासपोर्ट नहीं है, वो लोग बाहर नहीं निकल सकते हैं।

इस्राइल में जो भी टीकाकरण कराने से मना करेगा, उसके सार्वजनिक जगहों पर जाने और किसी भी कार्यक्रम में शामिल होने पर पाबंदी रहेगी।

वैसे वेक्सीनेशन का यात्रा के लिए जरूरी होना कोई नई बात नहीं है सालो से कुछ देशों की यात्रा करने वाले लोगों को यह साबित करना पड़ा है कि उन्हें पीले बुखार, रूबेला आदि का टीका लगा है टीका लगने के बाद, यात्रियों को हस्ताक्षरित और मुद्रांकित “येलो कार्ड” प्राप्त होता है लेकिन येलो कार्ड और आज के वेक्सीन पासपोर्ट के बीच जो एक बड़ा अंतर है वह हैं इसमे डिजिटल तकनीक का इस्तेमाल क्यूआर कोड जैसी तकनीक का इस्तेमाल।

अब यूरोपीय यूनियन के देश भी वैक्सीन पासपोर्ट सिस्टम को जरूरी बना रहे हैं जिन्होंने कोविड-19 का वैक्सीनेशन करा लिया है और इसके सबूत उनके पास हैं तो वे यूनियन के दूसरे देशों में बेरोकटोक यात्रा कर सकते हैं। उन्हें यात्रा से पहले वैक्सीनेशन के डिजिटल डॉक्यूमेंट्स दिखाने होंगे और यही उनका पासपोर्ट माना जाएगा।

डेनमार्क भी यात्राओं और सार्वजनिक जीवन में प्रतिबंधों में ढील देने के लिए ‘वैक्सीन पासपोर्ट’ लॉन्च करने की तैयारी में है स्पेन में भी इसे लागू करने की पूरी तैयारी हो गयी है वहाँ पर्यटन के लिए कोरोना पासपोर्ट जैसी स्कीम लाई जा रही है।

भारत जैसे विकासशील देशों में यह एक तरह से भेदभाव को बढ़ाने वाले यंत्र के रूप में कार्य करेगा यहाँ जब आधार का डाटा ही सुरक्षित नहीं है तो वेक्सीन पासपोर्ट का डेटा क्या सुरक्षित रहेगा ?

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