उत्तर प्रदेश में 2022 में चुनाव है लेकिन राजनीतिक दलों ने अभी से कमर कसनी शुरू कर दी है। सपा ने 2017 में कांग्रेस के साथ गठबंधन किया और हार मिली। फिर 2019 में बसपा के साथ गठबंधन किया और उसमें भी हार मिली। इसीलिए अखिलेश यादव अब नए सिरे से गठबंधन को लेकर सोच रहे हैं।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शनिवार को इटावा में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें ऐलान किया कि समाजवादी पार्टी 2022 में छोटे दलों से गठजोड़ करेगी, लेकिन किसी बड़े दल से कोई तालमेल नहीं करेगी।
अखिलेश ने साथ ही ऐलान किया कि चाचा शिवपाल यादव के लिये इटावा की जसवंतनगर की सीट सपा ने छोड़ दी है। यही नहीं सरकार बनने पर उनको कैबिनेट मंत्री बनाया जायेगा। अखिलेश ने कहा कि उनकी पार्टी को एडजस्ट करने के बारे में भी विचार किया जायेगा।
We are in talks with smaller parties but we won’t be making an alliance with any major ones: Akhilesh Yadav, Samajwadi Party (SP) on strategy for 2022 #UttarPradesh Legislative Assembly election pic.twitter.com/XuHoSXOKsb
— ANI UP (@ANINewsUP) November 14, 2020
आपको बता दें कि समाजवादी पार्टी से अलग होकर शिवपाल सिंह यादव ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी नाम का एक नया दल बनाया है। उन्होंने 2017 में सपा से अलग होकर चुनाव भी लड़ा था।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इटावा की प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सभी देश-प्रदेश वासियों को दीपावली की बधाई दी। सिविल लाइन आवास पर प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बसपा के तीन पूर्व जिला अध्यक्ष लाखन सिंह जाटव, जितेंद्र दोहरे, राघवेंद्र गौतम, बसपा की भाईचारा कमेटी के पूर्व विधानसभा प्रभारी वीरू भदौरिया, कांग्रेस के पूर्व जिला अध्यक्ष कीरत सिंह पाल, वामसेफ के पूर्व जिला अध्यक्ष सर्वेश गौतम समेत सैकड़ो की तादात में विभिन्न दलों के नेताओं ने समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण की।
इसके पहले लखनऊ में उन्नाव की पूर्व सांसद अन्नू टन्डन ने भी सपा की सदस्यता ग्रहण की। वह 2019 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ीं थीं। उस चुनाव में उनको बीजेपी के साक्षी महाराज के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा था।
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