प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज बनने जा रहे नए संसद भवन का भूमिपूजन किया। इस भूमि पूजन में 200 से अधिक लोगों ने भाग लिया। इनमें केंद्रीय मंत्री, राज्य मंत्री, सांसद, विदेशी दूत और धार्मिक नेता शामिल थे जो वेबकास्ट लाइव द्वारा जुड़े हुए थे। रतन टाटा ने भी इस समारोह में शिरकत की जिनके टाटा प्रोजेक्ट्स बिल्डिंग प्लान का एक हिस्सा है।
राष्ट्रपति देश का प्रथम नागरिक होता है और संसद का एक तरह से प्रमुख भी। इस वजह से राष्ट्रपति की जगह प्रधानमंत्री की प्रमुख उपस्थिति पर लोग सवाल खड़े कर रहे हैं।
इसमें पत्रकार प्रशांत कनौजिया भी शामिल हैं। उन्होंने एक ट्वीट के माध्यम से इस समारोह पर तंज कसा। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा,
संसद की भूमिपूजन में रामनाथ कोविंद को नहीं बिठाया गया। सही है दलित हैं वो कहीं भवन खंडित न हो जाए।
दूसरी ओर प्रधानमंत्री ने कहा,
आज का दिन भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में मील के पत्थर की तरह है। भारतीयों द्वारा, भारतीयता के विचार से ओत-प्रोत, भारत के संसद भवन के निर्माण का शुभारंभ हमारी लोकतांत्रिक परंपराओं के सबसे अहम पड़ावों में से एक है।
आपको बता दें कि संसद भवन के भूमि पूजन में छह पुरोहितों को संस्कृत मंत्रों का उच्चारण करने के लिए बुलाया गया था। यह पुरोहित कर्नाटक से बुलाए गए थे।
यह संसद भवन 20 हज़ार करोड़ की सेंट्रल विस्टा परियोजना का प्रमुख हिस्सा है, जिसका उद्देश्य राष्ट्रपति भवन राष्ट्रपति भवन से प्रतिष्ठित युद्ध स्मारक इंडिया गेट तक फैले 3 किमी राजपथ की ओर से सरकारी भवनों का निर्माण और नवीनीकरण करना है। परियोजना को चुनौती देने वाली सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाओं पर बहस अभी बाकी है।
प्रस्तावित चार मंजिला इमारत 64,500 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैलेगी और अनुमानित 971 करोड़ की लागत आएगी। अगस्त 2022 में देश के 75वें स्वतंत्रता दिवस के लिए निर्माण कार्य के पूरा होने की उम्मीद है।