Mamta Banerjee आखिर क्यों लड़ने जा रहीं हैं नंदीग्राम से भी चुनाव?

Mamta Banerjee के West Bengal में विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) होने में अभी तीन से चार महीने का समय शेष हैं।

विधानसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच अब राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है।

तृणमूल कांग्रेस (TMC) छोड़कर सुवेंदु अधिकारी हाल ही में भाजपा में शामिल हुए हैं।

सुवेंदु के गढ़ में CM व TMC सुप्रीमो ममता बनर्जी ने सोमवार को मेगा रैली कर बड़ा दांव खेला।

Mamta Banerjee भवानीपुर से ही लड़ती रही हैं।

ममता ने इस रैली से बड़ा एलान करते हुए कहा कि इस बार का विधानसभा चुनाव वह नंदीग्राम से भी लड़ेंगी।

साथ ही, अपनी परंपरागत सीट भवानीपुर से भी ममता मैदान में उतरेंगी। नंदीग्राम सुवेंदु अधिकारी का गढ़ माना जाता है।

अधिकारी पिछले महीने ही में तृणमूल छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं।

ममता ने यहां रैली में कहा कि नंदीग्राम मेरे लिए लकी है।

नंदीग्राम से शुरुआत की है। मैं नंदीग्राम को भूली नहीं हूं। रक्त से सने उस दिन को कैसे भुलूंगी।

उनके मुताबिक, कुछ लोग इधर-उधर कर रहे हैं। उतना चिंता करने की बात नहीं है।

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तृणमूल का जब जन्म हुआ था, उस समय वे नहीं थे।

कोई-कोई जा ही सकते हैं। अच्छा ही किए हैं। राजनीति में तीन लोग होते हैं।

लोभी, भोगी, त्यागी। किसी दिन त्यागी मां का गोद नहीं छोड़ेंगे।

भाजपा के नेता दिल्ली से बोल रहे हैं या तो जेल या घर में रहें।

भाजपा वॉशिंग मशीन और वॉशिंग पाउडर है। काला होकर घुसेगा और सादा होकर निकलेगा।

Mamta Banerjee बोलीं बंगाल को नहीं बिकने देंगे –

बंगाल को बिक्री करने नहीं देंगे। जिंदा रहने पर बंगाल को बिक्री करने नहीं देंगे। यह मेरा चैलेंज है।

उन्होंने सुभेंदु का नाम लिए बिना कहा कि आप देश के प्रधानमंत्री हों या उपराष्ट्रपति हों या राष्ट्रपति हों ।

आप देश के नेता बने, लेकिन जब तक जिंदा रहूंगी, बंगाल को बिक्री करने नहीं दूंगी।

इधर, बंगाल में इस वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और वाममोर्चा गठबंधन कर चुनाव लड़ेंगे।

सीटों के बंटवारे को लेकर रविवार को कोलकाता में दोनों दलों की संयुक्त बैठक हुई जिसमें फिर कोई नतीजा नहीं निकला।

इसमें दोनों दलों के वरिष्ठ नेतागण उपस्थित थे।

सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस ने 120 से 130 सीटों की मांग की है, जिस पर वाममोर्चा सहमत नहीं है।

इससे पहले भी सीटों के बंटवारे पर कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अब तक बात नहीं बनी है।

2016 के विधानसभा चुनाव में भी वाममोर्चा तथा कांग्रेस में गठबंधन हुआ था।

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