अर्णब की गिरफ्तारी और फिर जमानत पर बाहर आना कई मुद्दों पर बहस को हवा देता है। कुछ लोग पत्रकार की गिरफ्तारी पर सवाल खड़े कर रहे थे तो कुछ याचिका पर तुरंत सुनवाई से।
इनमें कॉमेडियन कुणाल कामरा भी लपेटे में हैं। उनके ट्वीट को लेकर उच्चतम न्यायालय ने अवमानना का नोटिस भी थमा दिया है। कुछ लोग अब इसको लेकर भी सवाल खड़े कर रहे हैं।
पत्रकार अर्णब गोस्वामी की याचिका को लेकर वरिष्ठ वकील और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने उच्चतम न्यायालय को ही खत लिख दिया।
उन्होंने अपने पत्र में उच्चतम न्यायालय से पूछा कि रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्णब की याचिकाएं तुरंत सुनवाई के लिए कैसे सूचीबद्ध कर दी जाती हैं?
वरिष्ठ वकील ने अपने पत्र में लिखा, जब हजारों लोग लंबे समय से जेलों में बंद हैं और उनकी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में कई हफ़्तों और महीनों से सुनवाई नहीं हुई है ऐसे में ये बेहद चिंताजनक है कि कैसे और किस तरह से गोस्वामी की याचिका सुप्रीम कोर्ट में तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दी जाती है। क्या इसे मास्टर ऑफ रोस्टर और मुख्य न्यायाधीश की ओर से कोई विशेष आदेश या निर्देश दिया गया है।
आपको बता दें कि रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्णब गोस्वामी को एक आत्महत्या से जुड़े मामले में गिरफ्तार किया गया था। इसी को लेकर उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी जो कि निरस्त कर दी गई थी। हाई कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ ही वह सुप्रीम कोर्ट गए थे।
खास बात यह है कि 10 नवंबर को अर्णब गोस्वामी ने याचिका दायर की और 11 नवंबर को ही सूचीबद्ध हो गई थी। इसी के चलते दुष्यन्त ने सवाल खड़े किए।
दवे ने इसके चलते रजिस्ट्रार पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने पूछा कि क्या वह बिना मुख्य न्यायाधीश की इजाजत के गोस्वामी को तरजीह दी रहे हैं?