नजरिया

अयोध्या के बाद अब 2024 से पहले काशी-मथुरा की तैयारी क्यों?

  आलेख : राजेन्द्र शर्मा काशी में अयोध्या प्रकरण के बाकायदा दुहराए जाने की तैयारियां शुरू हो गयी लगती हैं। शहर की एक अदालत के आदेश पर, भारतीय पुरातत्व सर्वे ने सोमवार, 24 जुलाई की सुबह, ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर सर्वे की कार्रवाई शुरू कर दी। अदालत का आदेश, पूरी …

Read More »

बहुमूल्य खनिजों, प्राकृतिक संसाधनों की अमीरी वाला महाद्वीप अफ्रीका कैसे गरीब बना दिया गया?

 आलेख : संध्या शैली अफ्रीका महाद्वीप को दुनिया अक्सर भूखे, जंगली, बर्बर और हिंसक आदिवासियों और जंगली जानवरों का महाद्वीप समझती है। दरअसल ये समझदारी उस मानसिकता से आती है, जो चमकते बाज़ारों, तकनीकी चमत्कारों और नौकरी का खूब बडा पैकेज देने वाले अमरीका, आस्ट्रेलिया और पश्चिमी यूरोप की चकाचौंध …

Read More »

मणिपुर में हिंसा क्यों हो रही? समझिए आखिर क्या है कुकी और मैतेई समुदाय में विवाद?

   आलेख : जवारीमल्ल पारख दो कुकी आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र कर सार्वजनिक रूप से अपमानित करने और उसके बाद युवा स्त्री को सामूहिक बलात्कार का शिकार बनाने का वीडियो सामने आने के बाद भी लोग यह समझने के लिए तैयार नहीं हैं कि नरेंद्र मोदी- एन बीरेन सिंह की …

Read More »

कौन हैं ये ईश्वरप्पा, जिनका ऑनलाइन तीर्थाटन करने पहुंचे खुद पीएम मोदी?

 BY- बादल सरोज कल परसों मोदी जी ने कर्नाटक के ईश्वरप्पा जी को वीडियो कॉल करके उनसे कर्नाटक चुनावों में भाजपा के साथ ही बने रहने की गुहार लगाई। ईश्वरप्पा भी ईश्वर के ही अप्पा हैं, उन्होंने भी ब्रह्मा जी का वीडियो कॉल मीडिया के सामने ही सुना। कौन है …

Read More »

भीषण गर्मी में बढ़ती पानी की किल्लत

BY- Dr. BRIJENDRA KUMAR VERMA जल संरक्षण और प्रबंधन द्वारा ही जल संकट से निजात संभव जिस तरह से मार्च में बारिश और ठंडा मौसम चल रहा था, किसी ने यह अंदाजा भी नहीं लगाया होगा कि अप्रैल माह के दूसरे हफ्ते से ही भयंकर गर्मी शुरू हो जाएगी। अभी कुछ …

Read More »

डिग्री की जब इतनी चर्चा हो ही गई है तो एक बार दिखाने में हर्ज क्या?

व्यंग्य आलेख : राजेंद्र शर्मा भाई, विरोधियों की ये तो सरासर बेईमानी है। जब मोदी जी-शाह जी एनआरसी ला रहे थे, तब क्या हुआ था, वह याद है या नहीं? सरकार बेचारी समझा-समझा के हार गयी, पर विरोधियों ने पब्लिक को न जाने क्या पट्टी पढ़ा दी कि भाई लोगों …

Read More »

नयी पेंशन योजना : समाज को बर्बर युग में ले जाने की गलत समझदारी

BY- बादल सरोज सरकारी कर्मचारियों को दिए जाने वाली पेंशन और सेवानिवृत्ति के बाद के लाभ के पीछे आजाद हिन्दुस्तान द्वारा अपनाई गयी कल्याणकारी राज्य की अवधारणा थी। इसके पीछे जहां तीन दशक पहले हुए सोवियत क्रांति की धमक और समाजवादी समाज व्यवस्था में मेहनतकशों को दी गयी सुविधाओं और …

Read More »

क्या जाति सच में ब्राह्मणों ने बनाई? मोहन भागवत के बयान में कितनी सच्चाई?

आलेख : बादल सरोज फिलहाल तो मोहन भागवत अपनी ही भागवत कथा में फँस गये लगते हैं। मुम्बई में संत रविदास की जयन्ती पर दिये अपने भाषण में उन्होंने दलितों को लुभाने के लिए जो जाल बिछाया था, वह उलटा पड़ गया लगता है। स्वाभाविक भी है, असत्य के साथ …

Read More »

अडानी इज इंडिया” के दावे पर इतना सन्नाटा क्यूँ है भाई?

आलेख : बादल सरोज भारत में 21वीं सदी के सबसे बड़े घोटाले, ठगी और बेईमानी पर दुनिया भर में भारत की सरकार और उसके कारपोरेट की भद्द पिटी पड़ी है। बाजार अपने निर्णय सुना रहा है, मगर जिन्हें बोलना था, वे न बोल रहे हैं, ना ही संसद तक में …

Read More »

डॉ अम्बेडकर ने क्यों कहा- अच्छा संविधान भी अगर खराब लोगों के हाथों में पड़ जाएगा, तो वे उसे खराब कर देंगे?

 आलेख : राजेंद्र शर्मा भारतीय गणतंत्र अपने तिहत्तर साल पूरे करने के बाद आज वास्तव में किस दशा में है, इसकी तस्वीर पूरी करने के लिए, बस इमरजेंसी की याद दिलाया जाना ही बाकी रहता था। और उसकी भी याद चौहत्तरवें गणतंत्र दिवस की ऐन पूर्व-संध्या में बीबीसी की डॉक्यूमेंटरी …

Read More »