BY- डॉ अजय कुमार
जहां जाति को खत्म होने की बात चल रही है वहीं जाति के नाम पर सेना में रेजिमेंट बनाने की बात चल रही है। इसमें आपकी और मनुवादियों की बातों में फिर फर्क क्या रह जाता है?
जहां मनुवादियों ने सिर्फ बहुजन समाज की जाति के नाम पर बनी सेना की रेजिमेंट का नाम खत्म कर दिया लेकिन वहीं अन्य जातियों के नाम पर रेजिमेंट बनाकर देश को जाति के आधार पर टुकड़ों में बांटने का काम किया है।
अगर हमारे प्रिय नेता जी को अगर घोषणा करनी ही थी तो यह घोषणा करते कि भारतीय सेना सिर्फ भारत देश की है इसमें किसी जाति और धर्म की कोई जरूरत नही है।
इसलिए अगर उनकी सरकार बनती है तो सेना में जातियों के नाम पर बनी रेजिमेंट को खत्म करके पूरे देश की सेना को सिर्फ एक ही सूत्र में बंधेंगे। क्योंकि अगर जातियों के नाम पर ये रेजिमेंट हैं तो समाज में जाति व्यवस्था भी इन्ही के आधार पर प्रेरणा लेती है और लोग बड़े गर्व से भारतीय होने की वजाय अपनी जाति पर ज्यादा गर्व या घमंड करते हैं व कमजोर वर्ग के तबके पर अपनी जातीय दबंगई दिखाते हैं।
अगर सेना में वास्तव में सैनिकों की वीरता और बहादुरी की प्रेरणा के लिए रेजिमेंट बनाना ही चाहते हो तो रेजिमेंट के शीर्षक की जगह वीरता के शीर्षक जैसे नामों के नाम पर रेजिमेंट रख दी जाए। जैसे भारत वीर रेजिमेंट, परम वीर रेजिमेंट आदि! क्योंकि बाबासाहेब आजीवन जातिवाद को खत्म करने के लिए संघर्ष करते रहे हैं। जिस पर उन्होंने “जाति के विनाश” पर पुस्तक तक लिख डाली और आज हम सिर्फ जातियों के बोझ को लेकर चल रहे हैं।
अजय कुमार
आईआईटी दिल्ली