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यूपी के पहले और देश के 12वें डिटेंशन सेंटर को योगी सरकार ने दी मंजूरी, गाजियाबाद में रखे जायेंगे अवैध रूप से रह रहे विदेशी

BY – FIRE TIMES TEAM

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार जल्द ही प्रदेश के पहले डिटेंशन सेंटर की शुरूआत करने जा रही है। जानकारी के मुताबिक दिल्ली से सटे गाजियाबाद जिले के नन्दग्राम में समाज कल्याण विभाग उत्तर प्रदेश के द्वारा बनी एक बिल्डिंग में इसकी शुरूआत की जा रही है।

दरअसल जिस बिल्डिंग में यह सेंटर तैयार हुआ है, वह साल 2011 में समाज कल्याण विभाग की तरफ से 408 छात्रों के लिए अंबेडकर हॉस्टल था। लेकिन पिछले कई सालों से यह बंद है, और देखरेख के अभाव में जर्जर हो गया।

योगी सरकार ने इसे डिटेंशन सेंटर में तब्दील करने के लिए केन्द्र को प्रस्ताव भेजा था। केन्द्र सरकार के बजट पर ही मेरठ की एक निर्माण एजेंसी ने छात्रावास को डिटेंशन सेंटर में तब्दील कर दिया।

इसके लिए केन्द्र सरकार को प्रस्ताव भेज दिया गया है, अनुमति मिलते ही इसे शुरू किया जा सकता है।बताया जा रहा है कि इस सेंटर में 100 लोगों के रहने की व्यवस्था की गई है।

यूपी के प्रमुख सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी के मुताबिक केन्द्र के आदेश के बाद ही इस सेंटर को मंजूरी दी गई है। ऐसे लोग जो विदेशी हैं और जेलों में सजा काट चुके हैं, जिन्हें अपने देश भेजने में वक्त लग रहा है। उनके लिए यह डिटेन्शन सेंटर बनाया गया है। जब तक विदेशी लोग अपने देश नहीं भेजे जाते तब तक समाज कल्याण विभाग के तहत इस सेंटर में रखे जायेंगे।

क्या होता है डिटेंशन सेंटर ?

सीएए, एनआरसी प्रोटेस्ट के दौरान डिटेंशन सेंटर शब्द की चर्चा तेज हो गई थी। यह शब्द लोगों को भयभीत भी कर रहा था। दरअसल, अवैध प्रवासियों अथवा बाहरी देशों से आये विदेशी नागरिकों को रखने के लिए एक तरह की जेल बनाई जाती है। इसे ही डिटेंशन सेंटर कहा जाता है।

फॉरेनर्स एक्ट, पासपोर्ट एक्ट का उल्लंघन करने वाले दूसरे देशों से आये विदेशी नागरिकों को प्रत्यर्पण न होने तक डिटेंशन सेंटर में ही रखा जाता है। वर्तमान समय में देशभर में 11 डिटेंशन सेंटर हैं। जिनमें सबसे ज्यादा 6 असम राज्य में ही हैं। बाकी दिल्ली, गोवा के म्हापसा, राजस्थान के अलवर जेल, पंजाब के अमृतसर जेल और बेंगलुरू के सोंडेकोप्पा में एक-2 डिटेंशन सेंटर हैं।

साल 2009 में कांग्रेस सरकार ने पहली बार असम में डिटेंशन सेंटर के निर्माण का फैसला लिया था। देश का सबसे बड़ा डिटेंशन सेंटर असम के गोवालपारा के मातिया में बनाया जा रहा है। जहां पर 3 हजार अवैध प्रवासियों को एक साथ रखा जा सकता है।

 

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