पिछड़ों के नाम पे यादव-वाद फैलाने वाले नेता क्यों बना लेते हैं अपना अलग दल?

BY- VIRENDRA KUMAR

पिछड़ों के नाम पर यादव-वाद फैलाने वाले, चाहे वह उत्तर प्रदेश हो चाहे वह बिहार हो, दोनों राज्यों में पिछड़े समाज के सभी मजबूत जातियों के नेता अपना अलग दल क्यों बना कर अलग राह क्यों अपनाए हुए हैं ? जवाब है क्योंकि वो सभी जानते हैं कि यह दोनों यादव क्षत्रप जो हैं यूपी और बिहार में पिछड़ों की राजनीति के नामपर सिर्फ यादवों का भला किया है।

उदाहरण की शुरुआत पहले बिहार से

बिहार में नीतीश कुमार कुर्मी है, उनके साथ उपेंद्र कुशवाहा कोइरी हैं उनकी अपनी पार्टी थी, इसके अलावा मुकेश साहनी वीआईपी पार्टी से जो खुद को सन आफ मल्लाह बोलते हैं उन्होंने भी अपना अलग रास्ता अपनाया है। खुला मंच है सब दिख रहा है कि पिछड़ों के नाम पर राजनीति करने वाले यह तीनों बड़ी बिरादरी यहां क्यों यादवों से कट रही है, क्योंकि उनको जमीनी सच्चाई पता है ।

उत्तर प्रदेश में आप देखेंगे यादवों से हटकर तमाम पिछड़े समाज जिनकी संख्या थोड़ी बहुत भी ठीक-ठाक है उन्होंने अपना अलग राजनीतिक दल बनाया हुआ है क्योंकि वह जानते हैं कि समाजवादी पार्टी के साथ रहकर उनका अपना हित नहीं हो सकता, उदाहरण के तौर पर उतर प्रदेश में कुर्मियों की सबसे बड़ी नेता अनुप्रिया पटेल उनकी अपनी पार्टी है। डा सोनेलाल पटेल ने अपना दल बनाया था, वह अब कई धड़ों में टूट चुका है लेकिन फिर भी जो उनकी राजनीतिक विरासत है वह अनुप्रिया पटेल के पास ही है।

कोइरी समाज के बड़े नेता बाबू सिंह कुशवाहा उन्होंने भी जन अधिकार पार्टी बना कर अलग रास्ता चुना, निषाद मल्लाह के नाम पर राजनीति करने वाले संजय निषाद ने भी अपना अलग रास्ता चुना अलग पार्टी बनाई । ठीक उसी तरह से ओमप्रकाश राजभर जो अति पिछड़े समाज से आते हैं उन्होंने भी अलग पार्टी बनाई भले वह गठबंधन में हैं लेकिन उनका अपना वजूद एक अलग स्वतंत्र पार्टी के तौर पर है। ठीक उसी तरीके से कोइरी, सैनी शाक्य समाज के लिए एक अलग नेता केशव देव मौर्य ने भी एक अलग पार्टी महान दल बना रखा है। चौहान समाज के भी और पाल समाज ने भी अपने-अपने जाति आधारित अलग दल बना रखा है क्योंकि उन सबको पता है कि पिछड़ों के नाम पर राजनीति करने वाले यादव क्षत्रप पिछड़ों के नाम पर बाकी सबका हक खा जा रहे हैं इनके राज में सिर्फ यादवों का भला हुआ है।

मैंने तमाम नाम गिनाए हैं आप उठा कर देख ले, अगर इन पिछड़ों की लिस्ट में मुस्लिम पिछड़ों को भी जोड़ दें तो यह लिस्ट तो बहुत लंबी हो जाएगी, पीस पार्टी के डॉक्टर अयूब उन्होंने भी अलग पार्टी बनाई थी वह भी मुस्लिम समाज के पिछड़े हैं क्योंकि उनको पता है कि पिछड़े मुस्लिम समाज का हक- हित समाजवादी पार्टी में सुरक्षित नहीं है ।

दोनों उदाहरणों से साफ हो जाता है कि जो स्थानीय लोग हैं जो उत्तर प्रदेश के और बिहार के असली लोग हैं वह इन दोनों यादव क्षत्रपों को, उनकी राजनीति को अच्छे से समझते हैं और जानते हैं कि इनकी सच्चाई क्या है यह लोग सभी पिछड़ों का हक मारकर सिर्फ यादववाद फैलाने का काम किया है। सरकारी आंकड़े हैं यादवों की जितनी संख्या है उस से दो गुना- तीन गुना इनके पुलिसकर्मी हैं और छोटे विभागों में छोटे-छोटे सरकारी पदों पर है।

सभी पिछड़ा समाज इनकी हकीकत को जानता है, छलावा करने वाले लोग हैं ये और भ्रम फैलाकर वोट लेते रहें हैं इसीलिए भाजपा मजबूत होती रही है उत्तर प्रदेश में।

यह भी पढ़ें- जो हम सब दलित/पिछड़े छात्रों की बात करेगा वही विधान सभा में राज करेगा: AUDSU

यह भी पढ़ें- लालू-ललुआ हो जाते है, किसी ने राजनाथ सिंह को राजनाथवा, जगदानंद सिंह को जगदवा क्यों नहीं कहा?

Follow Us On Facebook Click Here

Visit Our Youtube Channel Click Here

About Admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *