जो हम सब दलित/पिछड़े छात्रों की बात करेगा वही विधान सभा में राज करेगा: AUDSU

BY- FIRE TIMES TEAM

  • प्रथम चरण चुनाव से पहले बाबासाहब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय के छात्र संगठन अम्बेडकर यूनिवर्सिटी दलित स्टूडेंट्स यूनियन (AUDSU) के केंद्रीय अधिशासी समिति(CEC) सदस्यों का बड़ा फैसला

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय के 65% आरक्षण समर्थक छात्र/शिक्षकों की राय मशविरा के बाद अम्बेडकर यूनिवर्सिटी दलित स्टूडेंट्स यूनियन संगठन के सदस्यों ने जारी किया सभी राजनैतिक दलों के लिये अपना 18 सूत्रीय मांग-पत्र और अपने अपने घोषणा पत्र में शामिल करने की उठायी मांग। विश्वविद्यालय के हजारों आरक्षण समर्थकों का ऐलान इस बार प्रदेश में आरक्षण समर्थक सरकार बनाने लिया संकल्प।

19 सूत्री खुला मांगपत्र प्रेषित करने के पश्चात भी राजनैतिक दलों (सपा, भाजपा, कांग्रेस व अन्य) की तरफ से असन्तोष जनक व निराशाजनक रवैया रहा। इसी को देखते हुए विश्वविद्यालय के 65 प्रतिशत युवाओं के प्रतिनिधि मण्डल में शोधार्थी बसंत कुमार कनौजिया व इंजी० प्रतीक गौतम ने आज बहुजन समाज पार्टी कार्यालय में कार्यालय प्रभारी श्री राम अवतार मित्तल जी से मिलकर 19 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन सौंपा व श्री मित्तल जी द्वारा आश्वासन दिया गया कि प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की सरकार बनते ही , सभी मांगो पर कमेटी बनाकर विचार-विमर्श करके यथाशीघ्र अनुपालन करवाने का काम करेंगे । अतः प्रदेश के सभी छात्रों से अम्बेडकर यूनिवर्सिटी दलित स्टूडेंट्स यूनियन (AUDSU ) ने आवाह्न किया कि आने वाले 2022 में यूपी व अन्य राज्यों चुनाव में वोट की चोट से इस शिक्षा व रोजगार विरोधी वर्तमान सरकार को सबक सिखाने का काम करे व लोगो को जागरूक करके बहुजन समाज पार्टी की पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने में योगदान दे।

उत्तर प्रदेश की 86 आरक्षित सीटों पर वही राज करेगा जो भारत की एक मात्र शोषित, वंचित वर्ग के लिए 1996 में पार्लियामेंट के द्वारा पारित स्पेशल एक्ट के तहत बनी बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय, लखनऊ जिसमे अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के छात्रों लिए 50% सीटें आरक्षित है।

भाजपा हटाओ बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय, लखनऊ के साथ-साथ देश व प्रदेश के तमाम शिक्षण संस्थाओं को बचाओ अभियान में उतरेगा अम्बेडकर यूनिवर्सिटी दलित स्टूडेंट्स यूनियन (AUDSU) के हजारों छात्र/छात्राएं।

अम्बेडकर यूनिवर्सिटी दलित स्टूडेंट्स यूनियन (AUDSU) संघठन के पदाधिकारियों की समिति ने आज एक कैंपस में अतिआवश्यक बैठक सम्पन्न हुई, जिसमें उत्तर प्रदेश के सभी जनपदों के कोने कोने से आने वाले आरक्षण समर्थक छात्रों से राय मशविरा लेकर आज अम्बेडकर यूनिवर्सिटी दलित स्टूडेंट्स यूनियन संगठन द्वारा उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव-2022 के लिये सभी राजनैतिक दलों हेतु अपना खुला मांग पत्र जारी किया जिसमें प्रस्तावित सभी 19 महत्वपूर्ण मांगो:-

1. बीबीएयू व अन्य शिक्षण संस्थानों में दलित/पिछड़े छात्रों को जातिगत आधार पर परीक्षाओं एवं साक्षात्कारो में अंक देने पर रोक लगे।

2. बीबीएयू में दलित छात्रों की संख्या 60% से अधिक होने के के कारण विश्वविद्यालय में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग के कुलपति की नियुक्ति की जाए, व भविष्य में इसका सख्ती से अनुपालन कराने हेतु स्पेशल एक्ट पारित कराया जाए।

3. बीबीएयू व अन्य शिक्षण संस्थानों में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/पिछड़े वर्ग (SC/ST/OBC) के शिक्षकों की समय पर पदोन्नति की जाए।

4. बीबीएयू व तमाम अन्य शिक्षण संस्थानों में दलित/पिछड़े छात्रों को बाबासाहेब एवं अन्य बहुजन महापुरुषों की जयंती एवं परिनिर्वाण दिवस पर गोष्ठी/सेमिनार/ कार्यक्रम करने की छूट दी जाए।

5. बीबीएयू व तमाम अन्य शिक्षण संस्थानों में जातिवादी मानसिकता वाले प्रोफेसरों द्वारा लगातार दलित/पिछड़े शोधार्थियों को मानसिक एवं शारीरिक रूप से शोषण करने पर रोक लगे।

6. बीबीएयू व अन्य तमाम शिक्षण संस्थानों के परिसर में दलित/पिछड़े छात्रों को मूलभूत सुविधाएं (हॉस्टल, मेस, स्वच्छ पीने का पानी एवं जलपान ग्रह आदि) प्रदान की जाए।

7. बीबीएयू व तमाम अन्य शिक्षण संस्थानों में दलित/पिछड़े छात्रों को शिक्षा से वंचित रखने के लिए प्रतिवर्ष प्रवेश प्रक्रिया में विलंब पर रोक लगे, व बिना विलंब के एकडिमिक कलेंडर के अनुसार प्रवेश प्रक्रिया पूरी की जाए।

8. बीबीएयू में 2014 से षड्यंत्र के तहत प्रतिवर्ष प्रवेश प्रक्रिया में सतत देरी के चलते अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के 50% आरक्षण का अनुपालन नही किया जा रहा है। प्रथम वरीयता में 50% आरक्षण का अनुपालन कराया जाए।

9. बीबीएयू में 2015 से बंद पड़ी अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अल्पसंख्यक एवं महिलाओ के लिए 2009 से निःशुल्क आवासीय अकादमी कोचिंग (RCA) का संचालन कराया जाए, व किन उक्त कारणो से इसका संचालन रोका गया? इस कोचिंग सेंटर के फण्ड की केंद्रीय जाँच एजेंसी द्वारा जाँच कराई जाए।

10. बीबीएयू व अन्य शिक्षण संस्थानों में प्रवेश प्रक्रिया के समय में अनारक्षित सीटों पर योग्य दलित/पिछड़े अभ्यर्थियों का प्रवेश कराया जाए।

11. बीबीएयू में प्रवेश प्रक्रिया में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के 50% आरक्षण में सेंधमारी में रोक लगाई जाए, व विश्वविद्यालय के ही सामान्य वर्ग के प्रोफेसरों व अधिकारियों के द्वारा SC/ST के 50% आरक्षण पर बार-बार कुठाराघात किया जाता हैं। उन अधिकारियों व प्रोफेसरों की तत्काल रूप से जाँच करायी जाए व SC/ST एक्ट के तहत कानूनी कार्यवाही की जाए।

12. बीबीएयू के सफाई कर्मचारियों को नियमित किया जाए व कोरोना कॉल से रुका हुआ पूर्णरूप से वेतन प्रदान किया जाए, इसके साथ ही कोरोना कॉल में विश्वविद्यालय के अधिकारियों द्वारा गलत व अनियमित तरीके से गए भुगतान की केंद्रीय एजेंसी द्वारा जाँच करायी जाए।

13. बीबीएयू व अन्य तमाम शिक्षण संस्थानों में प्रतिवर्ष प्रवेश प्रक्रिया के समय एससी/एसटी छात्रों का एड्मिशन जीरो फीस पर किया जाए, व इसका सख्ती से अनुपालन कराया जाए।

14. बीबीएयू अन्य तमाम शिक्षण संस्थानों में शोधार्थियों/छात्रों को समय पर फेलोशिप/छात्रवृत्ति प्रदान की जाए।

15. बीबीएयू में अम्बेडकर भवन जिस उद्देश्य के लिए स्थापित किया गया था, (अम्बेडकर चेयर) के उद्देश्य को पूर्ण कराने के लिए यथाशीघ्र भवन को खाली कराकर अम्बेडकर चेयर स्थापित की जाए व इसका शक्ति के साथ अनुपालन कराया जाए।

16. बीबीएयू व अन्य तमाम शिक्षण संस्थानों में दलित/पिछड़े छात्रों पर फर्जी मुकदमे, फर्जी निलंबन, मानसिक व शारीरिक शोषण पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाए।

17. बीबीएयू व अन्य तमाम शिक्षण संस्थानों में प्रवेश प्रक्रिया के समय अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के आरक्षित सीटों पर सामान्य वर्ग के छात्रों के प्रवेश पर रोक लगायी जाए।

18. बीबीएयू में 2014 से अब तक विश्वविद्यालय में सामान्य वर्ग के कुलपति के शासनकाल में SC/ST छात्रों/प्रोफेसरों/कर्मचारियों के मानसिक व शारीरिक उत्पीड़न, अनियमित तरीके से फर्जी नियुक्तियाँ, अनियमित तरीके से भुगतान (हॉस्टल व अन्य भवनों के निर्माण) आदि । 2014 से अब तक के शासनकाल में हुए बड़े स्तर पर हुए भृष्टाचार की केंद्रीय जाँच एजेंसी द्वारा जाँच कराके यथाशीघ्र कानूनी कार्यवाही कराई जाए।

19. समस्त राजनीतिक दल, सामाजिक न्याय, प्रतिनिधित्व, हिस्सेदारी व भागेदारी के साथ ही आरक्षण (शिक्षा एँव रोजगार) के साथ पद्दोन्नति में आरक्षण पर अपना रुख स्पष्ट करें।

अम्बेडकर यूनिवर्सिटी दलित स्टूडेंट्स यूनियन ने सभी राजनैतिक दलों से कहा और यह पुरजोर मांग उठायी कि सभी राजनैतिक दल जो अपने को दलित वर्ग का हितैषी कहते हैं। यदि सच्चे मायने में दलितों के हितैषी हैं तो अम्बेडकर यूनिवर्सिटी दलित स्टूडेंट्स यूनियन के खुले मांग पत्र में प्रस्तावित समस्त मांगों को अपने घोषणा पत्र शामिल करें। वहीं BBAU के 65% आरक्षण समर्थक दलित छात्रों/शिक्षकों/सफाई कर्मचारियों ने पुनः हुंकार भरी और कहा इस बार प्रदेश में हर हाल में BBAU का 50% आरक्षण बचाने व आरक्षण समर्थकों की सरकार बनाना है। वह दिन दूर नहीं जब सभी राजनैतिक दलों की यह मजबूरी होगी कि वह 85 प्रतिशत बहुजनों की आवाज पर उनके साथ खड़े हों, अन्यथा उन्हें आरक्षण समर्थक वोट की चोट से करारा जवाब देंगे।

अम्बेडकर यूनिवर्सिटी दलित स्टूडेंट्स यूनियन के पदाधिकारी शोधार्थी बसन्त कुमार कनौजिया, ईंजी० प्रतीक गौतम ने कहा कि इस बार प्रदेश में 403 विधानसभाओं में विशेषतौर पर 86 आरक्षित सीटों पर दलित छात्र संगठन ने विषेष ध्यान रखे हुए और वहां पर संगठन द्वारा 86 गठित कमेटियां प्रत्येक कमेटी में 12 सदस्य जिसमे 6 शोधार्थी छात्र व 6 परास्नातक छात्रों की टीम लगातार यह जागरूकता फैला रही हैं कि एकजुट होकर आरक्षण समर्थक सरकार बनाने के लिये वोट की चोट करना। किसी भी हालत में वोट का बंटवारा न हो इसके लिये जन जागरूकता अभियान लगातार जारी है।

दलित छात्र संगठन का लगातार इस बात पर जोर है कि इस बार आरक्षित सीटों पर ऐसे जनप्रतिनिधियों का चुनाव करना है जो 85 प्रतिशत बहुजन की आवाज बन सके व विधानसभा/लोकसभा में पुरजोर तरीके से आवाज उठा सके, इसके साथ ही बाबा साहब द्वारा बनायी गयी संवैधानिक व्यवस्था की पूर्ण रक्षा कर सकें। काफी लम्बे समय से देखने को मिल रहा है कि आरक्षित सीट से जीतकर आने वाले ज्यादातर जन प्रतिनिधि चुनाव में वोट लेने के लिये बड़ी-बड़ी बातें करते हैं और जीतकर आने के बाद 2014 से जब उनसे अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/पिक्षडे उत्पीड़न पर आवाज़ नही उठाते है एँव इसके साथ ही बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय, लखनऊ के 50 % आरक्षण पर हो रहे कुठाराघात के खिलाफ चुप्पी साध लेते हैं व आरक्षण की लड़ाई को लड़ने की बात की जाती है तो वह पार्टी की मजबूरी बताकर पल्ला झाड़ लेते हैं। ऐसे में इस बार आरक्षण समर्थकों ने तय किया है कि जो हमारी बात पर खरा नहीं उतरता उसे हमारा प्रतिनिधि बनने का कोई अधिकार नहीं है।

“जो हम सब दलित/पिछड़े छात्रों की बात करेगा वही विधान सभा में राज करेगा” यही अम्बेडकर यूनिवर्सिटी दलित स्टूडेंट्स यूनियन (AUDSU) संगठन का नारा है।

CEC सदस्य

बसन्त कुमार कनौजिया
प्रतीक गौतम

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