जानिए कौन हैं कद्दावर नेता स्वामी प्रसाद मौर्य?

BY- VIRENDRA KUMAR

अपने कोईरी समाज के कद्दावर नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कल उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफा देते हुए भाजपा छोड़ने की घोषणा की और कुछ देर बाद ही उन्होंने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिलकर समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया।

इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बहुत से लोगों ने अपनी राय रखी हमेशा की तरह बहुजन समाज पार्टी के और मायावती के भक्त स्वामी प्रसाद मौर्य को खारिज करते नजर आए और वहीं पर समाजवादी पार्टी स्वामी प्रसाद मौर्य को अपने पार्टी संगठन में शामिल करते हुए बहुत ही गदगद नजर आई। भाजपा के छोटे-मोटे नेतृत्व के तरफ से भी कुछ प्रतिक्रियाएं दबे स्वरों में आईं और कुछ लोगों ने माना की हवा का रुख कुछ बदला-बदला सा नजर आ रहा है ।

स्वामी प्रसाद मौर्य मेरे जिले कुशीनगर के पडरौना सीट से तीसरी बार विधायक हैं और सिर्फ इतना ही नहीं कुशीनगर लोकसभा क्षेत्र से 2009 का लोकसभा चुनाव भी वह बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर लड़ चुके हैं और मामूली अंतर से दूसरे स्थान पर रहे थे । स्वामी प्रसाद मौर्य ने पडरौना विधानसभा की सीट 2010 उपचुनाव, 2012 विधानसभा चुनाव और 2017 विधानसभा आम चुनाव। 2010 और 2012 तो इन्होंने बसपा के सिंबल पर जीता और 2017 का चुनाव में भाजपा के सिंबल पर जीता ।

मेरे घर से सिर्फ 3 किलोमीटर दूर से ही पडरौना विधानसभा क्षेत्र शुरू हो जाता है ध्यान दें क्षेत्र का इतना आस पास होने के वजह से आना जाना लगा रहता है तो हमें काफी अच्छी जानकारी है उस क्षेत्र की और स्वामी प्रसाद मौर्य के व्यक्तित्व की । इतना ही नहीं जब वह बसपा में थे और बसपा सरकार में मंत्री थे तो 2009 में वो एक बार मेरे घर भी आए थे।

स्वामी प्रसाद मौर्य कोईरियों के एक सर्वमान्य नेता हैं इनकी पकड़ काफी अच्छी खासी संख्या में हैं, इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि कल जब इन्होंने इस्तीफा दिया तो इनके साथ तीन और मौजूदा भाजपा विधायकों ने भी भाजपा छोड़ी। तो जो व्यक्ति अपने साथ 3 मौजूदा भाजपा विधायकों को तोड़ सकता है तो समझ सकते हैं उस नेता के पास कितनी क्षमता होगी अभी । यह बात सही है कि 1996 में स्वामी प्रसाद मौर्य ने बहुजन समाज पार्टी का दामन थामा था और तब से ही उनके सितारे बुलंद होने लगे, मंत्री बने और मायावती के विश्वासपात्र बने, विधानसभा में विपक्ष का नेता बने और तरह-तरह की पार्टी जिम्मेदारियों का निर्वाह किया और अपने समाज के मजबूत नेता बने ।

स्वामी प्रसाद मौर्य के बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी होगी की वे बहुत ही बड़े और कट्टर बौद्ध धर्म के अनुयाई हैं और कट्टर मैंने इसलिए बोला कि उनके खिलाफ हिंदू धर्म के देवी देवताओं गणेश और गौरी का अपमान करने का भी आरोप है जिसमें उनके ऊपर मुकदमा भी चल रहा है बसपा में रहते हुए और अपने बौद्ध धर्म के विचारों से प्रेरणा लेते हुए उन्होंने “गोबर- गणेश” कह दिया था और अभी भी इस मामले पर उनके ऊपर केस चल रहा है।

निश्चित तौर पर स्वामी प्रसाद मौर्या के समाजवादी पार्टी ज्वाइन करने पर सपा को मजबूती मिलेगी, वैसे ही मेरे कुशीनगर जिला में समाजवादी पार्टी बहुत ही ज्यादा मजबूत स्थिति में है और सिर्फ कुशीनगर जिला ही नहीं कई सारे ऐसे जिले हैं जिनमें ये कोईरी, शाक्य, मौर्य, कुशवाहा वोट बहुत ज्यादा मायने रखता है । स्वामी प्रसाद मौर्या की बेटी संघमित्रा मौर्य बदायूं से लोकसभा सांसद हैं और जैसे मैंने ऊपर कहा है कि स्वामी प्रसाद मौर्या एक कट्टर बौद्ध धर्म के मानने वाले हैं इसलिए उन्होंने अपनी बेटी का नाम भी बौद्ध धर्म से प्रेरणा लेते हुए संघमित्रा मोर्या रखा हुआ है ।

जरूर उनके सपा में जाने से चुनाव परिणामों में थोड़ा सा बदलाव देखने को जरूर मिलेगा।

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वीरेन्द्र कुमार
पीएचडी स्कॉलर अंबेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली

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