BY- BIPUL KUMAR
2014 के बाद अपराध और अपराधियों को लेकर सरकार कभी गंभीर नहीं रही है। शुरुआत में बिहार पुलिस भले ही बेगूसराय की घटना को किसी सिरफिरे का कार्य बता रही थी। लेकिन बाद में चारों आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। घटना स्थल और प्रत्यक्षदर्शियों का जो कहना है उसके अनुसार घटना को पूरी रणनीति के तहत अंजाम दिया गया है, अपराधी ने पिस्टल और कट्टा दोनों तरह के हथियार का इस्तेमाल किया है।
घायल 11 में जिस एक की मौत हुई हैं, उसे भी कट्टा से ही मारा है और जिन तीन लोगों की स्थिति गंभीर है उन सभी को भी कट्टा से ही मारा है मतलब अपराधी गोली लोड करता था फिर फायर करता था।
दहशत फैलाने के लिए पिस्टल का इस्तेमाल करने का अर्थ है कि यह किसी सिरफिरे का काम नहीं हो सकता है। साथ ही गाड़ी चलाने वाला हेलमेट पहने हुए है, वही जिस गाड़ी का इस्तेमाल किया है उस पर नम्बर प्लेट सही नहीं है मतलब जिसने भी इस घटना को अंजाम दिया है उसने दिमाग से काम लिया है।
अब बेगूसराय का अपराधिक इतिहास उठा ले 2005 से 2022 के बीच 100 से 125 के बीच हर वर्ष हत्याएं होती रही हैं। इसके साथ ही पांच दिन पहले महागठबंधन की सरकार ने कहा कि बिहार में जनता का राज है और चार दिन पहले अमित शाह ने बिहार के 10 भाजपा नेताओं की सुरक्षा वापस ले ली।
बेगूसराय में इतने बड़ी घटना होने के बावजूद घटना के चंद घंटे बाद केंद्रीय मंत्री बेखौफ बिना सुरक्षा, बिना हेलमेट और बिना गाड़ी के शहर में घूम रहे हैं। क्या बिहार में जंगल राज है? बिहार में सुशासन है इसकी गवाही तो गिरिराज ही दे रहे हैं। साथ ही महागठबंधन की सरकार है तो निश्चिंत हैं यही कहा जायेगा। क्योंकि हमलावर कौन और कहां है इसका पता तो उन्हें होगा नहीं।
स्थानीय पत्रकारों के मुताबिक शराब सिंडिकेट से जुड़े अपराधियों ने घटना छह अंजाम दिया है। चार दिन पहले ही बेगूसराय उत्पाद विभाग की टीम ने करोड़ों की शराब जप्त की थी। एसपी के खुलासे के बाद स्थिति 10 स्पष्ट हो सकती है। राजनीतिक एंगल से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।
इस सब के बावजूद बेगूसराय पुलिस ने चारों अपराधी को पकड़ लिया है। बेगूसराय फाइरिंग मामले में चौथा आरोपी मौर्य एक्सप्रेस से आज सुबह 3 बजे गिरफ्तार हुआ जब राँची भाग रहा था। तीन को जिले की पुलिस ने झाझा रेलवे स्टेशन से ट्रेन से पकड़ा। बेगूसराय पुलिस जल्द ही खुलासा करेगी।
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