क्या है ट्रांस फैट ? जिसे खाद्य पदार्थों में 2 फीसदी तक सीमित करेगी सरकार

BY – FIRE TIMES TEAM

केन्द्र सरकार लोगों की सेहत को ध्यान में रखते हुए खाद्य पदार्थों में ट्रांस फैट का उपयोग कम करने जा रही है। भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ( Food safety and standards Authority of India – FSSAI ) वर्ष 2022 तक खाद्य सामग्रियों में ट्रांस फैट को 2 फीसदी तक सीमित करने के लिए जल्द ही एक विनियमन लायेगा। यह जानकारी FSSAI के सीईओ अरूण सिंघल ने दी।

अरूण सिंघल के अनुसार सभी को खाना मिलना एक जरूरी विषय है। हमारी प्राथमिकता यह है कि लोगों को पौष्टिक एवं स्वास्थ्यवर्धक भाेजन मिले। इसीलिए हम ट्रांस वसा की मात्रा को सीमित करने का नियमन लाने वाले हैं।

आपको बता दें कि ज्यादातर शारीरिक बीमारियों की जड़ खाद्य सामाग्री में मिलने वाला ट्रांस फैट ही है। और मौजूदा समय में ट्रांस फैट की अधिकतम सीमा 5 फीसदी है। जिसे 2020 तक 3 फीसदी और 2022 तक 2 फीसदी तक सीमित करने की तैयारी है।

भारतीय उद्योग परिसंघ द्वारा आयोजित वर्चुवल मीटिंग में अरूण सिंघल खाद्य सुरक्षा विज्ञान ( CHIFSS ) पर  CII-HUL पहल की चौथी वर्षगांठ पर बोल रहे थे। उन्होंने उद्योग जगत को इस मसले पर साथ-2 मिलकर काम करने का आह्वान किया।

FSSAI की चेयरपर्सन रीता तेवतिया ने कहा कि कोरोना जैसी महामारी के दौर में जन स्वास्थ्य को उबारने के लिए उद्योग जगत को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी।

क्या होता है ट्रांस फैट ?

दरअसल जब तरल वनस्पति तेलों (खाद्य तेलों) को ठोस रूप में परिवर्तित करने, खाद्य भंडारण करने के लिए अथवा अधिक समय तक उपयोग में वृद्धि के लिए इन तेलों का हाइड्रोजनीकरण किया जाता है, जिससे संतृप्त वसा या ट्रांस फैट का निर्माण होता है।

अक्सर इसे फैटी एसिड के नाम से जाना जाता है। ट्रांस फैट केक, कुकीज, बिस्किट, डोनट्स, फास्ट फूड, क्रीम, तले-भुने खाद्य पदार्थों के साथ रेडीमेड आइटम्स में ज्यादा मात्रा में पाया जाता है।

ट्रांस फैट को दो भागों में बांटा गया है, प्राकृतिक और कृत्रिम ट्रांस फैट। प्राकृतिक में पशुओं से प्राप्त फैट जैसे दूध, घी, मक्खन, अंडे, मांस होते हैं, जिन्हें सेचुरेटेड फैट भी कहते हैं। ज्यादा मात्रा में लेने पर यह भी हानिकारक हो सकता है, साधारणतः इसे लाभदायक माना जाता है।

और कृत्रिम ट्रांस फैट प्रोसेस्ड ऑयल और पैकेड बन्द खाद्य पदार्थों में पाया जाता है। तेल को बार-2 गर्म करने पर भी ट्रांस फैट का निर्माण होता है। यह बेहद हानिकारक होता है।

कैसे पहुंचाता है शरीर को नुकसान ?

जब भोजन में ट्रांस फैट की अधिकता होती है तो मनुष्य के शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल यानी एलडीएल की मात्रा बढ़ती है और गुड कोलेस्ट्रॉल यानी एचडीएल की मात्रा कम होने लगता है। जिससे मनुष्य में दिल की बीमारी, हाईपरटेंशन, मोटापा और डाइबिटीज जैसी समस्यायें पैदा होती हैं। यह बीमारी खानपान से होती है इसलिए इसे धीमा जहर भी कहा जाता है।

WHO क्या कहता है ट्रांस फैट के बारे में –

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के अनुसार Total Energy Intake में ट्रांस फैट की मात्रा 1 फीसदी से भी कम होनी चाहिए। वर्ष 2018 में WHO ने वैश्विक खाद्य आपूर्ति से औद्योगिक रूप से उत्पादित ट्रांस फैट को खत्म करने के लिए व्यापक योजना REPLACE की शुरूआत की थी।

 

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