BY – FIRE TIMES TEAM
भारत सरकार ने नई शिक्षा नीति-2020 जारी तो कर दिया है। इस शिक्षा नीति में तीन भाषाओं की पढ़ाई से लेकर एक तय समय में छात्र के स्किल को विकसित करने की बात कही गई है। यह शिक्षा नीति वैसे तो सुनने में बहुत अच्छी लगती है, लेकिन उसे लागू करने में कितना वक्त लगेगा यह भविष्य ही बतायेगा।
कभी गुरुकुल के समय में शिक्षक अपने छात्रों को मौखिक और प्रायोगिक शिक्षा के माध्यम से सिखाते थे। जिससे उनकी याद करने की क्षमता का विकास होता था और पुस्तकों की आवश्यकता नहीं पड़ती थी।
और अब उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षा नीति-2020 के तहत एक पहल की है कि सरकारी प्राइमरी स्कूलों के बच्चों की पढ़ाई को रोचक बनाया जाय। इसके लिए रकार ने फैसला किया है कि यहां हफ्ते में एक दिन ‘नो बैग डे’ (NO Bag Day) रखा जाएगा।
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इस दिन कक्षा 1 से 8 तक के विद्यार्थियों को तनावमुक्त रखने और खेल-खेल में रोचक ढंग से पढ़ाई कराने पर जोर दिया जाएगा। इस दिन विद्यार्थी बिना बस्ता/बैग लिए स्कूल आएंगे और खेल-खेल में मनोरंजन के माध्यम से सबक सीखेंगे।
नई शिक्षा नीति-2020 के तहत नए बदलावों को लागू कराने के लिए उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा की अध्यक्षता में टास्क फोर्स की बैठक में ये फैसला किया गया है। बैठक में विद्यार्थियों को रोचक ढंग से पढ़ाने के लिए जरूरी संसाधन जुटाने के निर्देश दिए गए।
बैठक में बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की निदेशक डॉ. सारिका मोहन ने प्री-प्राइमरी एजुकेशन को लेकर एक प्रस्तुतिकरण दिया। प्री-प्राइमरी स्तर पर विद्यार्थियों को रोचक ढंग से पाठ पढ़ाने के लिए बदलाव किए जाने पर जोर दिया।
वहीं सरकारी स्कूलों में हफ्ते में एक दिन विद्यार्थियों के लिए नो-बैग डे निर्धारित करने पर भी सहमति बनी। डिप्टी सीएम ने ने बेसिक से लेकर उच्च शिक्षा तक किए जाने वाले बदलावों को लेकर एक समग्र रिपोर्ट भी तैयार करने के निर्देश दिए हैं।
प्राविधिक शिक्षा विभाग की अपर मुख्य सचिव एस राधा चौहान ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व प्राइमरी स्कूलों के शिक्षकों के बीच सामंजस्य स्थापित हो और प्राइमरी स्कूलों में विद्यार्थी आंगनबाड़ी से लाए जाएं। आंगनबाड़ी केंद्र प्री-प्राइमरी स्कूल के रूप में काम करें।
यही नहीं प्राविधिक विद्यार्थियों को और सुविधाएं देने पर भी विचार चल रहा है। फिलहाल आईटीआई, पॉलीटेक्निक और इंजीनियरिंग कॉलेजों के विद्यार्थियों के लिए तैयार किए गए यू-राइज पोर्टल पर उन्हें दाखिले से लेकर रोजगार तक की पूरी जानकारी दी जा रही है।
इसके अलावा अभी प्रवेश, फीस और परीक्षा की ऑनलाइन सुविधाएं दी जा रही हैं। अब इसमें कक्षा मूल्यांकन, ऑनलाइन उपस्थिति, क्रेडिट आधारित पाठ्यक्रम और जीवन पर्यन्त शिक्षा की सुविधाएं मिलेंगी।
बैठक में राज्य उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो. गिरीश चंद्र त्रिपाठी, अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा मोनिका एस गर्ग और माध्यमिक शिक्षा परिषद के पूर्व निदेशक कृष्ण मोहन त्रिपाठी आदि मौजूद रहे।