VIR BAHADUR SINGH ने उत्तर प्रदेश में नारायण दत्त तिवारी के बाद जब प्रदेश के चौहदवें मुख्यमंत्री के तौर पर पद का दायित्व संभाला।
उस दौरान यूपी बाढ़ की आपदा से त्रस्त था और तिवारी के जाने की बौखलाहट से भरा हुआ था।
आज उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेसी नेता वीर बहादुर सिंह का जन्मदिन है।
आइये जानते हैं उनके व्यक्तिगत और राजनीतिक सफर के बारे में।
VIR BAHADUR SINGH थे पूर्वांचल के विकास पुरूष-
- 18 जनवरी,1935 को गोरखपुर के हरनही गांव में जन्में वीर बहादुर सिंह 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन से जुड़े रहे थे।
- उन्होंने डात्र जीवन से ही राजनीति में रुचि लेना शुरू कर दिया था।
- युवा नेता ओम प्रकाश पाण्डेय के साथ राजनीति में उतरे बीर बहादुर लेकिन पाण्डेय की अचानक हुई मौत के बाद पुर्वांचल की राजनीति में उभर कर सामने आये।
- देश की मिट्टी के साथ जुड़ी राजनीति करने वाले वीर बहादुर सिंह की 1990 में पेरिस में मृत्यु हो गई।
- उनके सर्मथक उन्हें पूर्वाचल का विकास पुरुष मानते थे।
- वीर बहादुर सिंह की मृत्यु के इतने समय बाद भी लोगों को भरोसा नहीं होता कि प्रदेश की मिट्टी से जुड़े इस शख्स ने परदेस में अंतिम सांस ली।
VIR BAHADUR SINGH का राजनीतिक सफर-
- उनके विषय में सबसे बड़ी बात ये थी कि तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी परिष्कृत छवि के सामने उनका देसीपन इतनी हद तक गंवई लगता था कि लोगों को उनके चयन पर हैरानी हुई थी।
- बहुत लोग उन्हें चतुर राजनीतिज्ञ मानते थे और कुछ कुटिल और दंदफंदी, पर खुद वीर बहादुर ने अपने व्यक्तित्व को लेकर होने वाली बातों का उत्तर ना दिया ना ही कोई बदलाव किया।
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- हां ये जरूर था कि मुख्यमंत्री बनने के बाद वो किसी हद तक पहनावे को लेकर सर्तक और एक सीमा तक स्टाइलिश होने लगे थे।
- उनके कार्यकाल में कई बार ऐसी उथल पुथल हुई जो अच्छे-अच्छे कुशल राजनेताओं को विचलित कर देती है पर वो निरपेक्ष भाव से अपना काम करते रहते थे और शायद यही उदासीनता उनके विरोधियों को परास्त कर देती थी।
- वीर बहादुर सिंह हमेशा प्रदेश की जातिगत राजनीति के बीच जगह बनाने की कोशिश करते थे और इस लड़ाई को ब्राह्मण बनाम राजपूत की लड़ाई माना जाता रहा।
- उनके और एनडी तिवारी के बीच अंदर ही अंदर दांवपेंच चलते रहे।
- वीर बहादुर छात्र राजनीति से निकले थे। उनके ख़ास लोग ओम प्रकाश पाण्डेय और ब्रिज भूषण सिंह भी छात्र राजनीति से आते थे।
- 1980 में वो वी पी सिंह की सरकार में मंत्री बन गये। फिर 24 सितम्बर 1985 से 24 जून 1988 के बीच यूपी के सीएम रहे।
- बाद में राजीव गांधी की कैबिनेट में कम्युनिकेशन मिनिस्टर भी बने।
VIR BAHADUR SINGH ने जब दंगे को बताया राष्ट्रीय समस्या-
फरवरी 1986 को राजीव गांधी ने बाबरी मस्जिद का गेट खुलवाया था। इसके बाद से कई सारे दंगे हुए।
1987 में जब मेरठ में दंगे हुए तब वीर बहादुर पर हिन्दू समर्थक होने का आरोप लगा। इस बात से वो मना भी करते रहे, सफाई में कहते थे
दंगा तो हमारी राष्ट्रीय समस्या है। 1982 के दंगों में इससे ज्यादा लोग मारे गए थे।