उन्नाव: पत्रकार की हत्या के तीन आरोपी गिरफ्तार; लेडी डॉन निकली मास्टरमाइंड

 BY- FIRE TIMES TEAM

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से मात्र 50 किमी की दूरी पर स्थित उन्नाव जिले में दिन दिहाड़े एक पत्रकार की गोली मारकर हत्या कर दी गई। यह तब हुआ है जब उत्तर प्रदेश सरकार में सवाल पूछने पर पत्रकारों पर जमकर एफआईआर हो रही हैं।

गोलीकांड कानपुर और उन्नाव के बीच शुक्लागंज घाट के पास 19 जून को हुआ था। गोली लगने के कारण पत्रकार शुभम मणि त्रिपाठी की मौके पर ही मौत हो गई थी।

अब इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। जिनके नाम हैं शाहनवाज अफर पुत्र अजर आलम, अफसर पुत्र जहीर अहमद, अब्दुल बारी पुत्र हाफिज अब्दुल्ला।

लेडी डॉन का हाँथ:

पत्रकार की हत्या के पीछे तथाकथित नेता और भू-माफिया दिव्या अवस्थी का हाँथ है। दरअसल पत्रकार उन्नाव में घटित घटनाओं को प्रमुखता के साथ दिखाने का प्रयास करता था जिनमें सरकारी जमीन से संबंधित खबरें भी प्रमुख रहती थीं।

पत्रकार की खबरें उन्नाव के भू-माफियाओं को रास नहीं आती थीं। खबर से छुब्ध लेडी डॉन ने पत्रकार को मारने के लिए अपने नजदीकी मोनू खान को 4 लाख रुपये की सुपारी दे दी।

पत्रकार के द्वारा सोशल मीडिया पर किये गए पोस्ट को लेकर भी उन्नाव के भू-माफिया चिड़े रहते थे।

उपरोक्त पोस्ट के माध्यम से पत्रकार उन तथाकथित समाजसेवियों पर तंज किया गया था जो दो नंबर के काम करके लोगों की मदद दिखावे के रूप में कर रहे थे। यही नहीं पत्रकार ने अप्रत्यक्ष रूप से कई तंज कसे।

उपरोक्त पोस्ट से यह समझा जा सकता है कि पत्रकार को यह अहसास था कि उसकी हत्या की साजिश रची जा रही है। बावजूद इसके न तो पत्रकार ने अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर पाया और न ही प्रशासन को इसका आभास हो पाया।

उपरोक्त पोस्ट शायद लेडी डॉन के लिए ही लिखी गई हो जिसने हत्या की साजिश रची थी।

एक साल पहले भी हुई थी झड़प: 

पत्रकार शुभम मणि त्रिपाठी और लेडी डॉन दिव्या अवस्थी के बीच एक साल पहले भी झड़प हुई थी। तब खबर से आहत होकर लेडी डॉन ने अपने गुर्गों के साथ एक मोबाइल शॉप पर जाकर पत्रकार को डराया, धमकाया था। उसके गुर्गों ने मोबाइल शॉप में जमकर तोड़-फोड़ भी की थी।

पत्रकार ने सुरक्षा की भी मांग की थी:

पत्रकार ने भू-माफियाओं से परेशान होकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भी लिखा था। इसमें उन्होंने भू-माफियाओं की धमकियों का भी जिक्र किया था।

पत्रकार ने जिला प्रशासन को कई बार पत्र लिखकर जान का खतरा बताया था। बावजूद इसके प्रशासन की तरफ से पत्रकार की सुरक्षा को लेकर कोई कड़ा कदम नहीं उठाया गया। अब जब पत्रकार की हत्या हो गई है तब क्या जिला प्रशासन की लापरवाही पर भी सवाल नहीं उठता है? यदि समय रहते सुरक्षा मुहैया कराई गई होती तो शायद आज ऐसी घटना न होती।

पत्रकार के पिता हार्ट के मरीज थे जिससे वह भू-माफियाओं की धमकी से काफी आहत रहते थे। और आखिरकार फरवरी महीने में हार्ट अटैक से उनकी मौत भी हो गई।

परिवार और बाहरी धमकियों को झेल रहे पत्रकार ने  फिर भी अपना काम बखूबी किया। लेकिन मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में जब उसने अपनी जान का खतरा बताया तब भी क्या कोई सुरक्षा नहीं मुहैय्या कराई जानी चाहिए थी।

पत्रकार अपनी जान पर झेल कर खबरें करते हैं और शासन प्रशासन उनकी सुरक्षा के मसले पर शांत हो जाता है।

 

 

About Admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *