उत्तर प्रदेश में क्यों न अब अपराध का नाम बदल दिया जाए?

 BY- सलामन अली

जब 2017 में उत्तर प्रदेश में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला और योगी आदित्यनाथ सूबे के मुख्यमंत्री बने तब जनता को विकास और अच्छे प्रशासन की आस जरूर थी। यह विश्वास काफी दिन तक बना भी रहा है। लोग अखिलेश सरकार के काम से ज्यादा की उम्मीद कर रहे थे लेकिन अब जब 2020 में भी योगी जी 2017 के पहले शुरू हुए कामों का फीता काट रहे हैं तब आस काफी हद तक टूट चुकी है।

हम आज सिर्फ उस मुद्दे पर बात करेंगे जिसको लेकर योगी आदित्यनाथ काफी कुछ बोलते थे। आपको भी उनकी बातें याद होंगी जब वह सूबे से अपराध को खत्म करने की बात कहते थे। और आप यह भी जानते हैं कि अपराध खत्म करने की तो दूर की बात यहाँ तो अखिलेश सरकार से भी बुरी स्थिति हो गई है।

हर रोज अपहरण, हत्या, बालात्कार जैसी खबरों से हमारा सामना कुछ ज्यादा ही होने लगा है। अभी हाल ही में घटी कुछ घटनाओं का जिक्र करना जरूरी भी है।

1. कानपुर में एक लैब टेक्निशियन का अपहरण और फिर उसकी हत्या। इस घटना में पुलिस की लापरवाही काफी सामने आई थी।

2. कानपुर की घटना के तुरंत बाद गोंडा में बच्चे का अपहरण। गलीमत यह रही कि यहाँ बच्चे को बचा लिया गया।

3. गोंडा की घटना के बाद अगली खबर गोरखपुर से आ गई। यहां चार बहनों में इकलौते बेटे का अपहरण हो गया। जब तक पुलिस कुछ कर पाती उसकी हत्या कर दी गई।

4. अभी हाल ही में लखीमपुर खीरी में एक नाबालिक बच्ची के साथ पहले लोगों ने बालात्कार किया फिर उसे मार डाला। बच्ची की हत्या बहुत ही बुरी तरह से की गई।

5. लखीमपुर की खबर चल ही रही थी कि सूबे से एक और खबर आई। जहां एक नाबालिग बच्ची के साथ बालात्कार करके उसकी जबान काट दी। फिर उसे जान से ही मार डाला।

6. अमेरिका में पढ़ने वाली एक होनहार लड़की को शोहदों ने छेड़ने का प्रयास किया और बचने के चक्कर में उसकी सड़क दुर्घटना में मौत हो गई।

7. आजमगढ़ में एक दलित प्रधान के घर में ताबड़तोड़ फायरिंग की गई जिसमें उसकी मौत हो गई। मामला एक सड़क निर्माण के दौरान हुए विवाद का था।

उपरोक्त घटनाएं उत्तर प्रदेश में एक महीने के अंदर ही घटी हैं। ये ऐसी घटनाएं हैं जो चर्चा में रही हैं, इसके अलावा भी रोजाना हज़ारों की संख्या में घटनाएं हो रही हैं।

एक तरफ अपराधियों के हौसलें बुलंद हैं तो दूसरी तरफ लोग प्रशासन के तानाशाही रवैये से परेशान हैं। आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर लोगों की मदद करने के बजाए पुलिस उन्हें ही लूट रही है।

एफआईआर भी काफी मसक्कत के बाद लिखी जा रही है। कभी-कभी स्थिति ऐसी बन जाती है कि लोगों को रिश्वत भी देनी पड़ जाती है। और दूसरी तरफ सच्चाई के साथ चलने वाले नेताओं के ऊपर पूरे उत्तर प्रदेश में एफआईआर हो जाती है।

आम आदमी पार्टी के नेता और राज्य सभा सांसद संजय सिंह पर उत्तर प्रदेश के कई जिलों में एफआईआर हुईं। ये एफआईआर सिर्फ इसलिए हुईं क्योंकि संजय सिंह ने उत्तर प्रदेश में हो रहे जातीय भेदभाव पर बोला था।

अब आप समझ सकते हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार किस प्रकार से काम कर रही है। एक तरफ वह अपराध को कम करने की बात कहती है तो दूसरी तरफ एफआईआर नेताओं पर होती है।

यह सवाल भी अब अहम हो गया है कि क्यों न अपराध का नाम बदल कर कुछ और रख दिया जाए। वैसे भी योगी आदित्यनाथ नाम बदलने में काफी माहिर हैं।

इलाहाबाद से लेकर फैज़ाबाद जैसे कई नाम बदले हैं और कई नामों की लिस्ट तैयार भी होगी। नाम बदलने से न अपराध दिखेगा और न लोग सवाल करेंगे।

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