दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय को लेकर कट्टरपंथी नेताओं ने जमकर अफवाह फैलाई। उन्होंने जामिया को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी और इसका असर भी हुआ।
अब जब सिविल सेवा परीक्षा 2019 के परिणाम घोषित हुए हैं तो उसमें जामिया मिल्लिया इस्लामिया से भी कई छात्र चयनित किए गए हैं। कुल 829 उम्मीदवारों का चयन किया गया है जिनमें जामिया के 30 छात्रों का भी नाम शामिल है।
जामिया में सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए रेजिडेंशियल कोचिंग एकेडमी चलाई जाती है जो छात्रों को रहने, खाने और पढ़ने जैसी कई सुविधाएं प्रदान करती है। यह सभी सुविधाएं मुफ्त में प्रदान की जाती हैं खासकर अल्पसंख्यक, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला उम्मीदवारों के लिए।
जामिया को लेकर जिस प्रकार से नकारात्मक रूप से बदनाम करने का प्रयास किया गया वह अब फेल साबित हो रहा है। जामिया भारत के टॉप -10 विश्वविद्यालय में भी शामिल है। जेएनयू, बीएचयू जैसे विश्वविद्यालयों की सूची में जामिया का भी नाम शामिल है।
इतना सबकुछ होने के बावजूद कई बीजेपी और आरएसएस के नेताओं ने जामिया को आतंक का अड्डा बताया था। अब शायद वह कहीं छिपकर बैठ गए हैं इसलिए बाहर नहीं निकल रहे हैं।
कुछ लोगों का आरोप है कि 2008 की एक सभा में वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि जामिया आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है। यही कारण था कि जब नरेंद्र मोदी को जामिया मिल्लिया इस्लामिया में आने के लिए न्यौता भेजा गया तो कुछ छात्रों ने जमकर विरोध किया था।
गौरतलब है कि इस बार यूपीएससी परीक्षा में उत्तीर्ण होने वाले 829 छात्रों में 304 जनरल कैटेगरी, 78 ईडब्ल्यूएस, 251 ओबीसी, 129 एससी, 67 एसटी के छात्र शामिल हैं।
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