BY – FIRE TIMES TEAM
- उत्तर प्रदेश(Uttar Pradesh) के मुख्यमंत्री भले की गौ शालाओं को लेकर गंभीर हों।
- लेकिन उनके गम्भीरता का कितना असर गौ शालाओं में है।
- इसकी हकीकत देखनी हो तो सिद्धार्थनगर जिले के गौ शालाओं में आइए।
- यहां आप जो देखेंगे उसे देख कर यही कहेंगे।
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- इस जिले में गौ शालाओं की जिम्मेदारी जिनके कंधों पर है।
- अधिकारी और कर्मचारी सिर्फ मुख्यमंत्री जी के बातों को सुनते हैं और फिर भूल जाते हैं।
- शायद तभी तो यहां की गौ शालाओं का हाल बद से बदतर है इस कड़ाके की ठंड में भी।
- हम आपको दिखा रहे है जिला मुख्यालय के महरिया की गौ शाला का हाल यहाँ कड़ाके की ठंड में भी गौवंशीय पशुओं के लिए न तो कही अलाव है और न ही जैकेट ही है।
उत्तर प्रदेश(Uttar Pradesh) के इस जिले में गौवंश(cow) के मरने से पहले खोद दी जाती है उनकी कब्र –
- सबसे बड़ी बात तो यहाँ ये देखने को मिली कि जिन गौवंशीय पशुओं को यहां रखा गया है उनके मरने से पहले ही कब्रे खोदकर रखी गयी है।
- और जिंदा गौवंशीय के मरने का इंतजार किया जा रहा है।
- यहां मौजूद पशु चरवाहे का कहना है हर तीसरे चौथे दिन 1 गौवंशीय पशु की मौत हो ही जाती है।
- तो इसीलिए पहले से कब्र खोदकर रखा जाता है।
गौवंशीय(cow) पशुओं को कब्र में जिन मिट्टी डालकर मरने के बाद ढक दिया गया है वो भी कब्र से बाहर दिखाई दे रही है।
- अब जब जिला मुख्यालय के करीब की गौशालाओ का यह हाल है तो आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं।
- उन गौ शालाओं के बारे में जो जिला मुख्यालय से दूर ग्रामीण इलाकों में बनाये गये है।
- इन गौ शालाओं में एक बड़ी समस्या और भी देखने को मिल रही है कि जिन लोगो को इन गौवंशीय पशुओं के देखभाल के लिए रखा गया है उनको 9 महीने से मानदेय भी नही दिया गया है।
- ऐसे में आखिर गौशालाओं की बदहाली के लिये कौन जिम्मेदार है ये बड़ा सवाल है।
- वहीं जिम्मेदार अधिकारी गौशालाओ में व्यवस्था चाक चौबंद होने का दावा करते दिख रहे है।