उत्तर प्रदेश में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें हाई कोर्ट ने एक मेल को याचिका मानते हुए सुनवाई की। हाई कोर्ट ने गौ तस्करी के आरोपी के पिता द्वारा भेजे गए ई-मेल को ही याचिका मान लिया।
मामला संगम नगरी प्रयागराज के थाना नवाबगंज से संबंधित है। यहां एक सख्स को 17 तारीख को गिरफ्तार किया गया और उसे 19 मई को गौ तस्करी के आरोप में जेल भेज दिया गया। बस इसी बात को लेकर आरोपी के पिता ने हाई कोर्ट को मेल कर दिया।
आरोपी के पिता ने अपने ईमेल के जरिए हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को बताया कि उसके बेटे को पुलिस ने 17 तारीख से 19 तक थाने में बंद रखा फिर 19 को गौ तस्करी का आरोप लगा के जेल भेज दिया। पिता ने आरोप लगाया कि उसके बेटे को गौ तस्करी के झूठे मामले में फंसाया जा रहा है।
अधिवक्ता मोहम्मद हारिश के अनुसार, पुलिस ने 19 मई को आरोपी मोहम्मद अशरफ के खिलाफ गौ तस्करी का केस दर्ज किया और उसे जेल भेज दिया। इसी मामले को लेकर अशरफ के पिता मोहम्मद यूसुफ ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को ई-मेल किया। मेल में उन्होंने अशरफ को गौ तस्करी के झूठे मुकदमे में फंसाने का अरोप लगाया था।
ई टीवी की रिपोर्ट के अनुसार इस मामले में कोर्ट ने एसएसपी प्रयागराज व नवाबगंज इंस्पेक्टर को तलब किया। कोर्ट ने पूछा कि आरोपी 17 से 19 मई तक पुलिस की हिरासत में था, तो वह उसी समय गौ तस्करी कैसे कर सकता है?
कार्यवाही करते हुए न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति रजनीश कुमार की खंडपीठ ने प्रयागराज पुलिस के इस कृत्य पर नाराजगी जताई। साथ ही नवाबगंज इंस्पेक्टर और एसएसपी को 3 सप्ताह में व्यक्तिगत हलफनामा देने का आदेश दिया।
कोर्ट ने गौ-तस्करी के आरोप में गिरफ्तार मोहम्मद अशरफ को तत्काल रिहा करने का आदेश भी दिया।