दो तस्वीरें: माइक पर बोलता शख्स आतंकवादी और बंदूक ताने खड़ा शख्स राष्ट्रवादी कैसे?

 BY- अंकुर मौर्या

इन दो तस्वीरों में दो शख्स हैं एक जिसे आतंकवादी बता दिया गया है, दूसरी तरफ पुलिस के सामने बंदूक ताने खड़ा शख्स राष्ट्रवादी है। इसमें फर्क इतना सा है कि दोनों का नाम दो अलग भाषाओं में है एक का नाम उर्दू में है और एक का नाम हिन्दी में है। खैर दिल्ली दंगो की चल रही एक तरफा कार्यवाही में अब उमर खालिद को गिरफ्तार किया गया है।

23 से 25 फरवरी के बीच दिल्ली में जो दंगे हुए उसको लेकर 13 जुलाई को हाईकोर्ट में दिल्ली पुलिस ने हलफ़नामा दायर किया। इसके मुताबिक दंगे में मारे गए लोगों में से 40 मुसलमान और 13 हिंदू थे।

इन दंगों ने पूरे देश को हिला दिया था। दिल्ली पुलिस ने दंगों से जुड़ी तमाम जानकारियां अभी सार्वजनकि नहीं की हैं। मार्च में जब लोकसभा चल रही थी तो उस वक्त अमित शाह ने दंगो पर जवाब देते हुए खालिद का नाम लिए बिना कहा था कि,

17 फरवरी को एक भाषण दिया गया और कहा गया कि डोनाल्ड ट्रंप के भारत आने पर हम दुनिया को बताएंगे कि हिंदुस्तान की सरकार अपनी आवाम के साथ क्या कर रही है। मैं आप सबसे अपील करता हूं कि देश के हुक़्मरानों के ख़िलाफ़ बाहर निकलिए, इसके बाद 23-24 फ़रवरी को दिल्ली में दंगा हो गया”।

उमर खालिद के इस भाषण का जिक्र दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने सबूत की तरह लिया। हालांकि उमर ने अपने भाषण में लोगों से सड़कों पर उतरने को कहा था। यानी प्रदर्शन करने के लिए कहा था जो हमारा संवैधानिक अधिकार है।

इसमें हिंसा भड़काने जैसा कुछ लगा नहीं, स्पेशल सेल के सबूतों और आरोपों की तस्वीर तब ठीक से साफ होगी जब ये चार्जशीट दायर करेंगे।

दिल्ली पुलिस की “क्रोनोलॉजी” में दंगे के दिन कपिल मिश्रा के बयान का कहीं कोई जिक्र नहीं किया गया है जिसमें कपिल मिश्रा ने चौड़ा में बोल था..

डीसीपी साहब हमारे सामने खड़े हैं, मैं आप सबके बिहाफ पर कह रहा हूं, ट्रंप के जाने तक तो हम शांति से जा रहे हैं लेकिन उसके बाद हम आपकी भी नहीं सुनेंगे, अगर रास्ते खाली नहीं हुए तो। ट्रंप के जाने तक आप जाफ़राबाद और चांदबाग खाली करवा लीजिए ऐसी आपसे विनती है वरना उसके बाद हमें रोड पर आना पड़ेगा”।

रिपोर्ट्स बताती है कि कपिल के इस भाषण के कुछ घण्टे बाद दंगे शुरू हुए थे। लेकिन पुलिस को इस भाषण में कुछ गलत नहीं लगा और पुलिस ने इसे अपने रिकॉर्ड में दर्ज नहीं किया। ना ही कोई कार्यवाही “अनुराग ठाकुर” के खिलाफ की गई जो कि खुले आम लोगों से गोली मारने को कहते हैं।

खैर तस्वीर अभी बहुत साफ होनी बाकी है, उम्मीद है जीत सत्य की होगी। जिस तरह कफील खान को प्रताड़ित किया गया था लेकिन बाद में जीत सत्य की हुई थी। ठीक उसी तरह दिल्ली के दंगों में भी सत्य की जीत होगी, ऐसी हम उम्मीद करते हैं।

 अंकुर मौर्या के फेसबुक प्रोफाइल से साभार

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