BY- RAHUL KUMAR GAURAV
राजतंत्र में राजा अपनी तरह जनता को बनाता है, लोकतंत्र में जनता अपनी तरह का राजा चुन लेती है. यूपी चुनाव परिणाम में कुछ तथ्य ऐसे हैं जो लोकतंत्र की ताकत दिखाते हैं.
कुमोद सिंह लिखती हैं कि जीप से नेता पुत्र ने जनता को कुचल दिया. हमसब ने स्क्रीन पर देखा लेकिन, लखिमपुर खीरी की जनता ने आंखों से देखा. इस इलाके की पांच में चार सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की है. अब आप समझ गये होंगे कि मुस्लिम बहुल इलाके में हिंदू पार्टी कैसे चुनाव जीत जाती है.
रेप पीड़िता की मां, का दर्द हम सबने टीवी पर देखकर महसूस किया होगा, लेकिन यूपी का समाज तो रेप पीड़िता और उस घटना के बाद उसके परिवार के साथ हुए व्यवहार को भी देखा होगा. उसके समर्थन में सपा ने तो अपना उम्मीदवार भी नहीं दिया, वो चुनाव हार गयी. अब आप समझ गये होंगे कि दो दशकों तक अस्फा कानून हटाने के लिए भूख हड़ताल करनेवाली मणिपुर में चुनाव क्यों हार गयी.
हम सब यूपी के बाहर बैठकर जातीगत आंकड़े मिलाते रहते हैं. वोटर लिस्ट में टाइटिल देखकर जीत हार तय करते हैं. मुलायम की बहू चुनाव जीत गयी और स्वामी-कैशव चुनाव हार गये. अब आप समझ सकते हैं कि राहुल गांधी अमेठी से चुनाव क्यों हार गये..
मुझे समझ नहीं आ रहा है कि लोकतंत्र का मजबूत होना लोगों को क्यों नहीं दिख रहा है. मैं यूपी का चुनाव परिणाम देखकर यह कतई नहीं कहूंगा कि धर्म या जाति पर वोट मिला है. यह जनादेश यूपी के सामाजिक चरित्र को सत्ता तक पहुंचाया है.
सेंगर, नित्यानंद और टेनी से भी अधिक बलात्कारी और हत्यारे मिजाज के हैं यूपी के अधिकतर वोटर, फिर इस जनादेश को जाति और धर्म के नजरिये से क्यों देखा जाये. जनता ने अपने मिजाज का प्रतिनिधि चुना है. यही तो लोकतंत्र की ताकत है. इसके लिए न भाजपा जिम्मेदार है ना कांग्रेस और न ही सपा.
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