BY – FIRE TIMES TEAM
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डा. कफील की तुरंत रिहाई का आदेश दिया है। इस समय वे पिछले 6 महीने से मथुरा जेल में बंद हैं। प्रदेश सरकार द्वारा उनपर लगाये गये राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) को भी हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है। कोर्ट ने रासुका लगाने और और उसकी अवधि बढ़ाने को भी गैर-कानूनी बताया है।
डा. कफील की पत्नी ने भी कोर्ट को चिट्ठी लिखकर उनकी जान को खतरा बताया था। गिरफ्तारी से पहले स्वयं डा. कफील ने खुद सोशल मीडिया के माध्यम से यूपी सरकार से अपनी जान को खतरा होने की आशंका जताई थी। कोर्ट द्वारा रिहाई के आदेश के बाद विपक्षी दलों ने बीजेपी पर हमला बोल दिया है।
समाजवादी पार्टी ने कहा, ” हाईकोर्ट का आदेश इस दमनकारी और अत्याचारी सरकार के मुंह पर करारा तमांचा है। दंभी भूल जाते हैं कि न्यायालय इंसाफ के लिए खुले हैं। नफरत की राजनीति के तहत कार्यवाही करने वाले सीएम माफी मांगें।”
वहीं कांग्रेस ने योगी सरकार से उम्मीद जताई है कि जल्द ही डा. कफील की रिहाई बिना किसी द्वेष के होगी।
आज इलाहाबाद हाई कोर्ट ने #drkafeelkhan के ऊपर से रासुका हटाकर उनकी तत्काल रिहाई का आदेश दिया।
आशा है कि यूपी सरकार डॉ कफील खान को बिना किसी विद्वेष के अविलंब रिहा करेगी।
डॉ कफील खान की रिहाई के प्रयासों में लगे तमाम न्याय पसंद लोगों व उप्र कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को मुबारकबाद
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) September 1, 2020
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में दिए गये उनके भाषण में नफरत या हिंसा को बढ़ावा देने के किसी भी प्रयास का निष्कर्ष नहीं निकलता है। जबकि इस भाषण के कारण ही डा. कफील को रासुका के कड़े नियमों के तहत गिरफ्तार किया गया, जो कि गैर-कानूनी है।
क्या है पूरा मामला ?
सबसे पहले 2017 में डा. कफील उस समय चर्चा में आये थे, जब गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के 60 बच्चों की मौत 1 सप्ताह में ही हो गई थी। उन पर इन्सेफेलाइटिस वार्ड में ड्यूटी में लापरवाही बरतने और निजी प्रैक्टिस करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, और अस्पताल से निलंबित भी कर दिया गया था। हालांकि पिछले साल अदालत ने उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया था।
दिसंबर 2019 में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में डा. कफील ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कथित तौर पर भड़काऊं भाषण दिया था। इस मामले में डा. कफील के खिलाफ अलीगढ़ के सिविल लाइंस थाने में केस दर्ज किया गया था। और इसी वर्ष 29 जनवरी को उन्हें यूपी एसटीएफ ने मुंबई से गिरफ्तार किया था।
मथुरा जेल में बंद डा. कफील को 10 फरवरी को जमानत तो मिल गई लेकिन 3 दिन बाद भी उनकी रिहाई नहीं हो सकी। इस दौरान अलीगढ़ जिला प्रशासन ने उन पर रासुका लगा दिया।
जेल में रहने के दौरान डा. कफील ने जेल में बुनियादी सुविधाओं को बदतर बताया था। और इसी सम्बन्ध में एक चिट्ठी भी लिखी थी। पत्र में शौचालय और स्वच्छता को लेकर सवाल उठाया था। जो कि सोशल मीडिया पर काफी वायरल भी हुई थी।