BY- BIPUL KUMAR
जगतगुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी आज दोपहर 98 वर्ष की उम्र में ब्रहमलीन हो गए। वैसे तो देश में कई स्वघोषित शंकराचार्य घूम रहे आजकल लेकिन इस देशों के आदि शंकराचार्य जी द्वारा स्थापित चार ही पीठ हैं, द्वारिका पीठ, श्रिंगेरी पीठ, गोवर्धन पीठ, एवं ज्योतरिपीठ।
श्रद्धेय जगतगुरु स्वरूपानंद स्वामी जी इन चार पीठों में से दो पीठों के शंकराचार्य थे। 1942 में 19 वर्ष की उम्र में भारत छोड़ो आंदोलन में जेल जाने से लेकर हर राष्ट्रीय और सामाजिक मुद्दे पर उन्होंने देश और समाज के लिए अपना योगदान दिया। इन्होंने साईं बाबा जिन्हें वो चाँद मियाँ कहते थे, की प्रतिमा को मंदिरों में बैठाने का विरोध किया।
सिवनी में जन्मे स्वामी जी जिनका आश्रम जबलपुर से चालीस किलॉमेटर पर श्रीधाम के नाम से है, हमेशा इस क्षेत्र का गौरव रहे हैं। आज उनके जाने से ये क्षेत्र हमेशा के लिए सूना हो जाएगा। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती कॉन्ग्रेस की तरफ झुकाव नैसर्गिक रूप से था। उनका जन्म मध्यप्रदेश में हुआ था, सम्भवतः इसलिए मध्यप्रदेश के कॉन्ग्रेस नेता दिग्विजय सिंह से उनकी नजदीकी काफी ज्यादा थी।
कॉन्ग्रेस की ओर अपने झुकाव के चलते शंकराचार्य लम्बे समय से भाजपा समर्थकों के निशाने पर रहे हैं। हिंदुत्व के मुद्दे पर भी वो बहुत कम मुखर होते थे।हिन्दू मंदिरों में साईं की मूर्तियों और शनि शिंगणापुर में महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे पर जरूर वो मुखर होकर बोले।
राजनीतिक पंडितों के मुताबिक शंकराचार्य जैसे सम्मानित, प्रतिष्ठित,शक्तिशाली और विशाल जन समर्थन वाले व्यक्ति की ऐसी कोई मजबूरी नहीं हो सकती। आज़ादी के बाद की कांग्रेस की झुकाव होना नैसर्गिक है, लेकिन मजबूरी नहीं।
प्रधानमंत्री मोदी ने भी शोक व्यक्त करते हुए लिखा कि द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। शोक के इस समय में उनके अनुयायियों के प्रति मेरी संवेदनाएं। ओम शांति!
प्रधानमंत्री के इस ट्वीट पर वरिष्ठ पत्रकार आवेश तिवारी आरोप लगाते हैं कि क्या आरएसएस { संघ } एक अलग धर्म है ?क्या संघ के अनुयायी सनातन धर्म को नहीं मानते ? क्या तथाकथित संघ प्रचारक से पीएम पद पर आसीन मोदी जी सनातन धर्म के अनुयायी नहीं हैं … देश जानना चाहेगा पीएम मोदी जी किस धर्म के अनुयायी हैं ।
यह सवाल पीएम द्वारा सनातन धर्मध्वजा वाहक , धर्मसम्राट, पूज्यपाद ज्योतिष्पीठाधीश्वर व द्वारका शारदापीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के ब्रम्हलीन होने के बाद दिए गए शोक संदेश से उठता है।
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