BY – FIRE TIMES TEAM
नागालैंड सरकार ने इसी साल 4 जुलाई को कुत्तों के मांस की बिक्री और खरीद पर रोक लगा दी थी। सरकार ने कैबिनेट मीटिंग में 3 जुलाई को मुख्य सचिव तेमजेन ट्वाय के हस्ताक्षर के बाद प्रदेश में कुत्तों के व्यापार, आयात और लगने वाले उसके बाजार को प्रतिबन्धित कर दिया।
इसके बाद से प्रदेश में किसी भी भोजनालय या होटल में यह परोसा नहीं जायेगा। ऐसा आदेश पारित किया गया। इसे बैन करने का मुख्य कारण खाद्य नियामक के मानकों और उसके सुरक्षा का हवाला दिया गया।
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक नागालैंड के कुत्ता मांस व्यापारियों ने हाईकोर्ट ने एक याचिका दायर की थी। इसके बाद गोहाटी हाईकोर्ट के कोहिमा बेन्च ने नागालैंड सरकार के कुत्ता मांस बैन के फैसले पर रोक लगा दी। और कहा कि यह स्टे अगली सुनवाई तक बना रहेगा।
प्रदेश सरकार का यह फैसला ऐसे समय के बाद आया, जब सांसद और पशुओं के अधिकारों की रक्षा करने वाली कार्यकर्ता मेनका गांधी ने नागालैंड में कुत्तों की हत्या और उनका मांस खाने के मुद्दे को गंभीरता से उठाया था।
उन्होंने नागालैंड के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि वह प्रदेश में कुत्तों के मांस परोसने वाले रेस्टोरेंट और बाजार पर रोक लगायें।
इसके अलांवा भारतीय पशु प्रतिरक्षा संगठन ने भी इस मुद्दे पर एक स्टेटमेंट जारी करते हुए प्रदेश में इस पर रोक लगाये जाने की अपील की।
दरअसल नागालैंड में एक विशेष समुदाय के लोगों के द्वारा कुत्ते के मांस का सेवन किया जाता है। यह कई दशकों से वहां के लोगों द्वारा औषधि की तरह भी प्रयोग किया जाता रहा है।
और अब इस बैन के बाद वहां के तमाम लोगों ने सोशल मीडिया पर इसका विरोध कर रहे हैं। और सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि उन पर प्रदेश की परंपराएं थोपी जा रही हैं।