BY – FIRE TIMES TEAM
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के घण्टाघर पर स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सैय्यद उज्मा परवीन कुछ महिलाओं के साथ झण्डा फहराने जा रही थी। मौके पर पुलिस ने पहुंच कर उन्हें उनके घर में ही नजर बन्द कर दिया।
इससे पहले नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी के विरोध प्रदर्शन में भी उजमा शामिल रहीं थी। जिसके लिए उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था।
इस पर दुख जाहिर करते हुए उजमा ने कहा कि स्वतंत्रता दिवस के दिन तिरंगा न फहराने देना संवैधानिक अधिकारों का हनन है। मैं अपने देश से बहुत प्रेम करती हूं। देश में रहने वाले हर उस व्यक्ति को उसका अधिकार मिलना चाहिए, चाहे वो सीएए हो या फिर एनआरसी।
इस विषय में डीसीपी(पश्चिमी) सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को बिना अनुमति पब्लिक डोमेन में झण्डा फहराने की अनुमति नहीं है। जो भी लोग ऐसा कर रहे हैं उन्हें समझाया गया है।
कौन हैं सैय्यद उज्मा परवीन –
लखनऊ के सआदतगंज की रहने वाली उज्मा सीएए-एनआरसी के विरोध प्रदर्शनों के दौरान सुर्खियों में आई थीं। उसे घण्टाघर में लोगों ने झांसी की रानी की संज्ञा दे दी थी।
इसके बाद कोरोना के कारण लॉकडाउन में 26 अप्रैल से लखनऊ की गलियों में सैनेटाइजेशन का काम अकेले शुरू कर दिया। करीब 44 दिन में उज्मा ने 20 से ज्यादा इलाकों और तमाम मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारों को भी सैनेटाइज किया।
उज्मा परवीन इस काम के लिए स्कूटी पर 20 लीटर का स्प्रेयर लेकर सुबह-2 ही निकल पड़ती थीं। कई लोगों ने ताने भी दिए कि यह महज दिखावा है, लेकिन उज्मा अपने काम में लगी रहीं अंततः उनके काम की तारीफ देशभर में हुई।