BY- PRIYANKA PRIYANKAR
RRR !!रौद्रम् रणम् रुधिरम्—–राइज़ रौर रिवोल्ट!!
साऊथ के फिल्मों की अपनी एक भव्यता होती है और राजामौली सर का फिल्मी दुनिया का अपना एक स्वप्न लोक है। जहाँ से वो हर बार अपने स्वप्न लोक की एक कहानियों और किरदारों के साथ जब पर्दे पर उतारते है तो सिनेमाहाल तालियों और सीटियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठता है।
RRR के लिए इतना ही कहेंगे कि एस.एस.राजामौली हर बार अपने ब्रैंड पर खरे उतर जाते है। साऊथ फिल्मों का अब एक अलग फैनबेस नहीं है बल्कि ये वही दर्शक है जो हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के घिसे-पिटे लव स्टोरीज और सेट प्रोपेगैंडा वाली फिल्मों से उन्हें बोर ही नहीं किया जाता है बल्कि उनकी जेब पर डाइरेक्ट डांका भी डाला जाता है।
साऊथ की फिल्में एक ब्लूप्रिंट है कि फिल्म देखने वाले दर्शक का 3 घंटा मनोरंजन कैसे किया जाए, यहाँ फिल्म उन्हें अलग दुनिया की सैर पर ले जाती है जिसके लिए हमें साऊथ की फिल्म इंडस्ट्री को धन्यवाद कहना चाहिए।
शोले, दोस्ती, याराना, जैसी फिल्मों के यारी दोस्ती के किरदारों की कहानियां हम सबने देखा है, ठीक उसी तरह से राम और भीम के दोस्ती की कहानी एक दस्तावेज है जो हम सभी अपनी पीढ़ियों को सुना सकते हैं।
देशभक्ति, वंदेमातरम, और जल-जंगल-जमीन जो इस देश का कल्चर नहीं देश की आत्मा है।
फिल्म के क्लाइमेक्स में सभी के लिए एक खूबसूरत संदेश दिया जाता है।
यह देखना तब और सुखद हो जाता है जब प्रोपेगैंडा के नाम पर आप पर कुछ चीजें जबरदस्ती थोपी जा रही है।
अगर किरदारों की बात करें तो कोमारम भीम (जूनियर NTR) परदे पर आता है और जिन तेवरों के साथ राजामौली ने कहानी में भीम का प्रवेश दिखाया है, थिएटर तालियों, सीटियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठता है।
सेकेंड हाफ में राम (राम चरन) के कैरेक्टर ने फिल्म को अलग लेवल पर लाकर रख दिया है। रामचरण और एनटीआर ने फिल्म के बैलेंस को अपने-अपने कैरेक्टर से बांध कर रखा है। राजामौली एक्टरों से उनके अभिनय का 200 प्रतिशत निकलवाना बखूबी जानते है।
मनोरंजन उद्योग के लिए ऐसी फिल्में एक नयी दिशा तय कर रही है, ओपनिंग डे पर फिल्में अब 250 करोड़ की बंपर कमाई ही नहीं कर रही है बल्कि हफ्ते लास्ट तक 500 करोड़ के जादुई आंकड़े को भी पार कर रही है। जिसका सारा क्रेडिट साऊथ इंडस्ट्री को ही नहीं बल्कि राजामौली जैसे डायरेक्टरो को जाता है।
RRR जैसी फ़िल्म के लिए इतना कहेंगे कि भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक दस्तावेज होगा हम अपनी आने वाली पीढ़ियों से कहेंगे कि हम उस सिनेमाई दौर से गुजरे हैं जहाँ राजामौली जैसे लेजेंडरी डायरेक्टर के नेतृत्व में भारतीय सिनेमा इतिहास रच रहा था और हम सभी उस पल के साक्षी थे।।
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