BY – FIRE TIMES TEAM
चुनाव आते ही पार्टियाँ सियासी खींचतान शुरू कर देती हैं। बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले 7 जुलाई को 9 विधान परिषद सदस्यों के चुनाव होने हैं। ऐसे समय में लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) को लगातार दो झटके लगे हैं। पहले पार्टी के 5 विधान परिषद सदस्यों ने पार्टी से किनारा कर लिया, उसके बाद पार्टी के उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने भी पद त्याग दिया है। हालांकि पार्टी ने अभी तक उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है।
मिली जानकारी के अनुसार संजय प्रसाद, कमरे आलम, राधाचरण सेठ, रणविजय सिंह और दिलीप राय ने विधान परिषद सदस्य पद से इस्तीफा दे दिया है। अब इन सभी के जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) में शामिल होने की उम्मीद है। ये सब तेजस्वी यादव के नेतृत्व से परेशान थे। और उनके बड़े भाई तेजप्रताप यादव के विधान परिषद सदस्य के चुनाव में प्रत्याशी बनाये जाने की संभावना है। यह भी एक वजह मानी जा रही है।
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रघुवंश प्रसाद वैशाली से राजद के टिकट पर चार बार के सांसद रह चुके हैं। इसी सीट से 2014 में रामा किशोर सिंह लोजपा के टिकट पर सांसद रह चुके हैं। जो रंघुवंश प्रसाद और लालू प्रसाद के घुर विरोधी माने जाते हैं। 2019 के लोक सभा चुनाव में रामा सिंह को लोजपा से टिकट न मिलने पर राजद ने उन्हें अपने पाले में लाने की कोशिश की थी। मगर रघुवंश प्रसाद के विरोध के कारण पार्टी में जगह नहीं मिल पाई।
हाल ही में रामा किशोर सिंह ने तेजस्वी यादव से मुलाकात की थी, जिसके बाद 29 जून को उन्हें पार्टी में शामिल करने की तैयारी है। इसी बात से रंघुवंश प्रसाद नाराज चल रहे थे। और आखिरकार उन्होंने उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।
रघुवंश प्रसाद का राजद में बड़ा अहम रोल है, हर फैसले में पार्टी के साथ खड़े रहते हैं। वे सवर्ण जातियों के एक बड़े चेहरे के रूप में वोट बैंक बनाने में सफल रहे हैं।