मोदी सरकार के बनने के बाद देश की आर्थिक व्यवस्था में अहम योगदान देना वाला बैंकिंग सेक्टर तबाह है। इसका एनपीए लगातार बढ़ता ही जा रहा है।
अब आरबीआई ने अपनी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के 21वें अंक में एनपीए को लेकर एक बार फिर बुरे संकेत दिए हैं। कोरोना संकट के बीच लगे लॉकडाउन के प्रभाव के बाद आरबीआई ने कहा है कि बैंकिंग क्षेत्र के लिए गैर-निष्पादनकारी परिसंपत्तियों में काफी वृद्धि होने की संभावना है।
चेतावनी देते हुए आरबीआई ने कहा है कि मौजूदा परिस्थितियों के तहत मार्च 2020 के 8.5 प्रतिशत से बढ़कर मार्च 2021 तक एनपीए 12.5 प्रतिशत तक हो सकता है।
आपको बता दूं कि साल 2000 के मार्च महीने में एनपीए 12.7 प्रतिशत था जो कि अब तक का सबसे अधिक है। उस हिसाब से 2000 के बाद यह पहली स्थिति होगी जब एनपीए इस स्तर पर जाएगा।
यही नहीं आरबीआई की इस अर्धवार्षिक रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यदि आर्थिक स्थितियां बिगड़ती हैं तो एनपीए 14.7 प्रतिशत तक भी बढ़ सकता है।
क्या है वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट:
भारत की वित्तीय स्थिति के लिए आरबीआई प्रत्येक 6 माह के अंतराल पर एक रिपोर्ट प्रकाशित करता है जिसे वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट(FSR) के रूप में हम जानते हैं।
इस रिपोर्ट में आरबीआई वित्तीय क्षेत्र के विकास और विनियमन से संबंधित मुद्दों पर भी चर्चा करता है। अमूमन इस रिपोर्ट से हम देश की आर्थिक स्थिति का अंदाजा लगा सकते हैं। साथ ही सरकार के लिए यह एक चेतावनी भी होती है।
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